आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को निर्णय नहीं लेने देंगे; जजों की स्वायत्तता और विवेक को बरकरार रखा जाएगा: CJI बोबडे

Update: 2021-04-07 05:50 GMT

सुप्रीम कोर्ट की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमेटी ने मंगलवार को अपना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी) लॉन्च किया।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में CJI एसए बोबडे, आगामी CJI जस्टिस एनवी रमना और सुप्रीम कोर्ट की एआई कमेटी के चेयरमैन जस्टिस नागेश्वर राव और हाईकोर्ट के जज मौजूद थे।

CJI बोबड़े ने पोर्टल को लॉन्‍च करते हुए कहा कि यह 'मानव बुद्घि और मशीन लर्निंग का उचित मिश्रण' है और एक 'हाइब्रिड सिस्टम' है, जो मानव बुद्धि के साथ मिलकर काम करता है। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम अद्वितीय है, क्योंकि इसमें मानव और मशीन के बीच संवाद होता है, जो उल्लेखनीय परिणाम पैदा करता है।

अपने भाषण में CJI ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के खिलाफ आपत्तियों और आलोचनाओं की भी चर्चा की और कहा कि जैसा कि ज्यादातर लोगों के लिए इसका मतलब है स्वचालित निर्णय लेना।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रणाली के संदर्भ में इस तरह की आपत्तियां पूरी तरह से अनुचित हैं, क्योंकि इसे जजों को तथ्यों को उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया, जिनकी उन्हें उन्हें निर्णय लेने के लिए आवश्यकता है और यह उन्हें निर्णय देने में सक्षम बनाता है।

उन्होंने कहा, "यह हमारा विचार है और प्रत्येक न्यायाधीश के लिए उचित है कि निर्णय लेने का कार्य पर उसी पर छोड़ दिया जाना चाहिए, मशीन को इसे तय नहीं करना चाहिए।"

CJI ने कहा कि वह खुद मानते हैं कि एआई को मानवीय समस्याओं से जुड़े मामलों पर निर्णय लेने देना विनाशकारी होगा, जहां मानवों के बीच चर्चा महत्वपूर्ण है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सावधानी बरती गई है कि एआई केवल प्रासंगिक तथ्य और कानून जुटाए और इसे जज को उपलब्‍ध कराए, ना कि उन्हें निर्णय लेने में सुझाव दे।

उन्होंने कहा, "यह वह जगह है जहां भारतीय न्यायपालिका इसका उपयोग करना बंद कर देगी, इसकी दी गई जानकारियों और सभी उत्तरों के विश्लेषण के बाद। हम इसे निर्णय लेने पर हावी नहीं होने देंगे।"

आगामी CJI,जस्टिस रमना ने इसे सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन कहा और कहा कि एआई टूल की शुरुआत सीजेआई की एक और उपलब्ध‌‌ि है।

उन्होंने कहा कि यह न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने का एक और बड़ा कदम है और जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाने में न्यायपालिका के लिए मददगार होगा।

जस्टिस रमना ने यह भी कहा कि टूल का उपयोग आपराधिक मामलों में समय बचाने में मदद करने के लिए और मोटर दुर्घटना दावों में भी कई महत्वपूर्ण तरीकों से किया जा सकता है।

एआई कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने व्यवसायों की प्रकृति और अभ्यास के तरीके को बाधित किया है और हालिया प्रगति मानव जीवन के हर पहलू में क्रांति ला रही है।

उन्होंने कहा कि जस्टिस डिलीवरी सिस्टम की उत्पादकता बढ़ाने के लिए न्यायपालिका में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की अत्याधुनिक तकनीक की आवश्यकता महसूस की गई थी, और इसे फलीभूत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एआई समिति का गठन किया था।

जस्टिस राव ने कहा कि न्यायिक पक्ष में कानूनी अनुसंधान सहायता CJI के दिमाग की उपज है, ‌जिन्होंने श्री त्रिवेदी के साथ इस पर चर्चा की और फिर आकार लेने में दो साल लग गए।

उन्होंने कहा, "भारतीय परिदृश्य में जजों का काम सूचनाओं के प्रसंस्करण पर संकेंद्रित है। मामलों में पुरानी नजीरों के आधार पर निर्णय दिया जाता है.."

जस्टिस राव ने कहा कि एआई समिति ने डेटा को बेहतर तरीके से संभालने के लिए, इन सभी सूचनाओं को सूचीबद्ध करने में एआई की क्षमता की पहचान की है..।

ज‌स्ट‌िस नागेश्वर राव ने कहा कि एआई समिति की सिफारिश है कि उच्च न्यायालय के सभी जज को समय बचाने और दक्षता में सुधार करने के लिए इस तकनीकी का उपयोग करना चाहिए।

लॉन्‍चिंग प्रोग्राम में तकनीकी टीम ने एआई सिस्टम का लाइव डेमो भी दिया। 

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