नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन का उनका अनुरोध विचाराधीन रहने तक सेवामुक्त नहीं किया जायेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार 16 मार्च के उसके उन दिशानिर्देशों पर अमल करने में असफल रही है, जिसमें कहा गया था कि भारतीय नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारी भी पुरुष अधिकारियों की तरह ही स्थायी कमीशन पाने की हकदार हैं।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि शॉर्ट सर्विस कमीर्शन की महिला अधिकारी के तौर पर कार्यरत याचिकाकर्ताओं को तब तक सेवा से हटाया नहीं जायेगा, जब तक स्थायी कमीशन दिये जाने का उनका अनुरोध विचाराधीन है।
इससे पहले, सशस्त्र बल न्यायाधिकरण और बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने इन महिला अधिकारियों का वह अनुरोध ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने स्थायी कमीशन के अपने अनुरोध पर गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय किये जाने तक उन्हें सेवामुक्त करने से भारतीय नौसेना को रोकने की अंतरिम राहत की मांग की थी।
ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उनकी शॉर्ट सर्विस कमीशन की अवधि छह अगस्त, 2020 को पूरी हो रही थी, जबकि इससे संबंधित रिलीज ऑर्डर एक साल पहले ही जारी कर दिया गया था।
महिला अधिकारियों ने खुद को सेवा में मौजूद होने (इन-सर्विस) का दर्जा तब तक संरक्षित रखने को लेकर अंतरिम आदेश जारी करने का अनुरोध किया था जब तक नौसेना द्वारा स्थायी कमीशन दिये जाने पर विचार करने संबंधी उनके अनुरोध पर कोई फैसला या सूचना नहीं आ जाती।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट के आदेशों का विरोध करते हुए अधिकारियों ने दलील दी कि केंद्र सरकार को शीर्ष अदालत के 17 मार्च 2020 के आदेश पर तीन माह के भीतर अमल करने की आवश्यकता थी, लेकिन इस बारे में आवेदन आमंत्रित करने से आगे कोई प्रक्रिया न तो शुरू की गयी, न पूरी।
इस दलील का जवाब देते हुए केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि बीच में कोरोना महामारी शुरू होने और उसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन घोषित किये जाने के मद्देनजर प्रक्रिया में देरी हुई है, इसलिए सरकार ने कुछ और मोहलत दिये जाने को लेकर एक याचिका दायर की गयी है।
बेंच ने कहा :
"केंद्र सरकार महिला अधिकारियों को तीन माह के भीतर स्थायी कमीशन दिये जाने के शीर्ष अदालत के 17 मार्च के फैसले में दिये गये निर्देशों पर अमल करने में प्रथमदृष्ट्या विफल रही है, ऐसे में शॉर्ट सर्विस कमीशन्ड महिला अधिकारियों को उनके अनुरोध पर विचार किये बिना सेवामुक्त कर देना अनुचित होगा।"
बेंच ने हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल के आदेशों पर रोक लगा दी और विशेष अनुमति याचिका की सुनवाई 20 अगस्त 2020 तक के लिए स्थगित कर दी।
पिछले माह, केंद्र सरकार ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए औपचारिक मंजूरी पत्र जारी किया था।
आदेश में जज एंड एडवोकेट जनरल (जेएजी) और आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स (एईसी) में पहले से मौजूद स्थायी कमीशन के अलावा भारतीय सेना के सभी दस वर्गों में शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन को मंजूरी दी गयी है।
यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के 17 फरवरी के उस फैसले पर अमल के तहत जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि भारतीय सेना की महिला अधिकारियों को उन सभी वर्गोँ में स्थायी कमीशन देने का सरकार को निर्देश दिया था, जिनमें केंद्र सरकार ने महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन दिये जाने का पहले ही निर्णय लिया था।
केस का नाम : रुपाली रोहतगी बनाम केंद्र सरकार