जब पूरे देश में फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ दिखाई जा रही है तो पश्चिम बंगाल में बैन क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

Update: 2023-05-12 10:18 GMT

5 मई को फिल्म द करेला स्टोरी रिलीज हुई थी। रिलीज के तीन दिन बाद यानी 8 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फिल्म राज्य में बैन कर दिया था। कहा था कि घृणा और हिंसा की किसी भी घटना से बचने और राज्य में शांति बनाए रखने के लिए फिल्म के प्रदर्शन पर बैन लगाया गया है। इसके खिलाफ फिल्म निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा- जब पूरे देश में फिल्म दिखाई जा रही है तो पश्चिम बंगाल में इस पर बैन क्यों हैं। ये लोगों को तय करने दें कि उन्हें ये फिल्म देखनी है या नहीं। अगर उन्हें ये फिल्म अच्छी नहीं लगेगी तो वो नहीं देखेंगे।

मामले में अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

फिल्म सनशाइन प्रोडक्शंस के निर्माता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने कहा- फिल्म की रिलीज के दिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममत बनर्जी ने इसके खिलाफ एक बयान दिया था। जिसमें फिल्म को एक समुदाय के खिलाफ बताया गया था। फिल्म बिना किसी समस्या के तीन दिनों तक चली। उसके बाद राज्य ने फिल्म पर बैन लगा दिया।

पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस फिल्म से जुडे सभी मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों को हाईकोर्ट जाने को कहा था। सिंघवी ने ये भी कहा कि कानून और व्यवस्था को खतरा है। इससे जुडी खुफिया रिपोर्टें हैं।

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा-

"फिल्म देश के बाकी हिस्सों में रिलीज हुई है। पश्चिम बंगाल देश से अलग नहीं है। जब पूरे देश में फिल्म दिखाई जा रही है तो पश्चिम बंगाल में इस पर बैन क्यों हैं। लोगों को तय करने दें कि उन्हें ये फिल्म देखनी है या नहीं। अगर उन्हें ये फिल्म अच्छी नहीं लगेगी तो वो नहीं देखेंगे।

इस पर सिंघवी ने कहा कि राज्य के पास पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम 1954 की धारा 6 के तहत शक्ति है।

CJI ने कहा कि कोर्ट राज्य को सुने बिना कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करेगा।

सीजेआई ने तमिलनाडु के एडिशनल एडवोकेट जनरल, एडवोकेट अमित आनंद तिवारी से पूछा,

"तमिलनाडु राज्य क्या कर रहा है? ये सार्वजनिक व्यवस्था की स्थिति है। राज्य सरकार ये नहीं कह सकती है कि हमला किया जा रहा है, कुर्सियां जलाई जा रही हैं। इसलिए जब तक थिएटर बंद हैं, हम कोई और रास्ता देखेंगे।“

कोर्ट ने तमिलनाडु राज्य को उसकी तरफ से उठाए गए कदमों पर एक हलफनामा दायर करने को कहा।

मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल सिनेमा (विनियमन) अधिनियम, 1954 की धारा 6(1) के तहत शक्तियों का इस्तेमाल कर 8 मई को फिल पर बैन लगा दिया था। फिल्म निर्माताओं ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्टा का दरवाजा खटखटाया।

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार के पास फिल्म पर बैन लगाने की कोई शक्ति नहीं है। क्योंकि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने इस फिल्म को सर्टिफाई किया है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य सरकार फिल्म पर बैन लगाने के लिए लॉ एंड ऑर्डर का हवाला नहीं दे सकती है। उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

फिल्म ट्रेलर आने के बाद से ही विवादों में रहा है। ये फिल्म कुछ मुस्लिम महिला की कहानी दिखाकर पूरे मुस्लिम समुदाय और केरल राज्य को कलंकित कर रही है।

बता दें, केरल हाईकोर्ट ने 5 मई को फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट 15 मई को सुनवाई के लिए सहमत हुआ है।



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