सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के अध्यापकों की ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी कौन? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला

Update: 2021-01-19 05:25 GMT

Supreme Court of India

पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट के तहत सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के मामले में ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए कौन उत्तरदायी है? सुप्रीम कोर्ट, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका में उठाए गए इस मुद्दे की जांच करेगा।

जस्टिस संजय किशन कौल, ज‌स्ट‌िस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया हुए ध्यान दिया कि इस मुद्दे, कि पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्‍ट, 1972 के तहत सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए कौन उत्तरदायी है, पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और छत्तीसगढ़ उच्‍च न्यायालय ने अलग-अलग राय प्रकट की है।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में माना है कि संस्थान को ग्रेच्युटी का भुगतान करना है, न कि राज्य को।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में सुरेश कुमार द्विवेदी और अन्य बनाम में मध्य प्रदेश राज्य, 1993 एमपीएलजे 663 में डिवीजन बेंच के पहले के फैसले पर भरोसा किया, जिसमें यह कहा गया था, "सहायता प्राप्त संस्थानों के शिक्षकों को राज्य सरकार के अधीन नियुक्त नहीं किया जाता है। राज्य सरकार और शिक्षकों के बीच मालिक और नौकर का कोई संबंध नहीं है। अधिनियम का कोई प्रावधान या नियम पूर्वोक्त लाभों के भुगतान के लिए ऐसे शिक्षकों या कर्मचारियों पर लागू नहीं होता है। यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य सरकार ऐसे लाभों और सुविधाओं के विस्तार के लिए कैसे उत्तरदायी है। चूंकि यह वित्तीय बोझ से युक्त नीतिगत मामला है, इसलिए यह इस न्यायालय का कार्य नहीं है कि सरकार को मंजूरी देने के लिए मजबूर करे, क्योंकि न्यायालय विधायिका या उसके एजेंटों के लिए अपने फैसले को स्थानापन्न नहीं करती है..."

पिछले साल छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अंबिका मिशन बॉयज़ मिडिल स्कूल बनाम छत्तीसगढ़ राज्य में दिए गए फैसले में कहा था कि सहायता प्राप्त शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों/कर्मचारियों के लिए पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 की परिभाषा के भीतर राज्य नियोक्ता होगा।

केस: श्री गुजराती समाज बनाम मध्य प्रदेश राज्य [SLP(C) No(s)15331/2020]

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