"यह किस तरह की याचिका है", COVID 19 के बारे में चीन और WHO से पूरी जानकारी लेने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की

Update: 2020-06-18 03:15 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को COVID 19 के बारे में चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से सभी संगत जानकारियां हासिल करने के लिए भारत सरकार को निर्देश जारी करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि याचिका जुर्माना लगाने को आकर्षित करेगी लेकिन पीठ ने इसे वापस लेने की अनुमति दी।

पीठ ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए टिप्पणी की, "यह किस तरह की याचिका है?"

याचिका "Doctors For You" नामक संगठन ने एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट अभिषेक सिंह के माध्यम से दायर की गई थी।

इस याचिका के माध्यम से मांग की गई थी कि भारत सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से COVID 19 वायरस के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करे, क्योंकि यह जीवन से जुड़ा मुद्दा है।

याचिका में कहा गया कि इस वायरस ने भारतीय संविधान में जीवन के अधिकार को ख़तरे में डाल दिया है और इससे जुड़ी जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों को इसके बारे में शोध करने और इसका टीका विकसित करने में मदद देगी।

याचिका के अनुसार भारत सरकार आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 35(2)(g) को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए विश्व की अन्य संस्थाओं और देशों से सहयोग करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य है। ऐसा राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुरूप कार्य कर अनुच्छेद 21 के संरक्षण के लिए भी ज़रूरी है।

याचिका में कहा गया था कि

" लॉकडाउन से पहले चीनी अधिकारियों ने पचास लाख लोगों को वुहान से हटा दिया जहां से बहुत सारे लोगों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाना था। जब डब्ल्यूएचओ ने अंततः 11 मार्च 2020 को इसे महामारी घोषित किया, इससे 114 देशों में 4000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी थी और एक लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे।" याचिका में कहा गया है कि इन वजहों से इसके बारे में ज़मीनी तथ्यों को जानना ज़रूरी है।"

याचिका में यह भी मांग की गई थी कि दुनिया में COVID 19 वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देशों के प्रतिनिधि मिलकर चीन में इसकी जांच करें और यह पता लगाएं कि इसके बारे में विश्व समुदाय को जानकारी देने में क्यों देरी हुई।

याचिका में कहा गया था कि

"डब्ल्यूएचओ दुनिया को इसके बारे में सावधान करने में पिछड़ गया और इस तरह उसने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमनों का उल्लंघन किया जिसके अनुसार संगठन को स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति में मेज़बान देश की अनुमति के बिना उसके पास जो ज़रूरी सूचना है, उसे दे देनी चाहिए ताकि ज़्यादा नुक़सान को रोका जा सके।"

याचिका में कहा गया कि चीन संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार घोषणा की शर्तों, समझौतों के क़ानून के बारे में विएना कन्वेंशन और कोरफु चैनल मामले (अंतरराष्ट्रीय न्यायालय) के सिद्धांतों का पालन करने में विफल रहा है।

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