विकास दुबे एनकाउंटर: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को जांच आयोग की सिफारिशों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया

Update: 2022-07-23 05:52 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश राज्य को गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमाना, जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने सार्वजनिक डोमेन में रिपोर्ट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा।

पीठ ने अपने आदेश में कहा,

"हम राज्य सरकार को जांच आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं। रिपोर्ट की प्रति सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सार्वजनिक डोमेन में रखी जानी चाहिए।"

तदनुसार, पीठ ने वकील विशाल तिवारी और घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें गैंगस्टर विकास दुबे की मुठभेड़ में हत्या की जांच की मांग की गई थी।

भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सूचित किए जाने के बाद पीठ द्वारा निर्देश जारी किए गए कि जांच आयोग द्वारा रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया है और राज्य विधानसभा के समक्ष भी रखा गया है।

एसजी तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया,

"नियुक्त जांच आयोग की अध्यक्षता इस माननीय न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने की है। सरकार ने सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और इसे विधानमंडल के समक्ष भी रखा है। ऐसी सिफारिशें की गई हैं, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया है।"

जांच आयोग द्वारा यूपी पुलिस को दी गई क्लीन चिट से अवगत कराते हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने पीठ से मामले को बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि जांच आयोग की रिपोर्ट राज्य विधानसभा के समक्ष रखी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई, 2020 को आठ पुलिसकर्मियों की हत्याओं और दुबे और उनके सहयोगियों की मुठभेड़ में हत्याओं की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच आयोग के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) चौहान को नियुक्त करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की मसौदा अधिसूचना को मंजूरी दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त, 2020 में एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें गैंगस्टर की कथित हत्या की जांच के लिए गठित जांच आयोग को भंग करने की मांग की गई थी। उपाध्याय ने याचिका में जस्टिस बीएस चौहान के आयोग का नेतृत्व करने के संबंध में सवाल उठाए थे।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बी एस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग ने अप्रैल, 2022 में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी, क्योंकि उसे गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों की पिछले साल जुलाई में हुई मुठभेड़ में उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से गलत काम करने का सबूत नहीं मिला था।

पुलिस ने कहा था कि दुबे 10 जुलाई, 2020 की सुबह मुठभेड़ में मारा गया, जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उसने भौटी इलाके में मौके से भागने की कोशिश की। दुबे के एनकाउंटर से पहले उसके पांच कथित सहयोगी अलग-अलग एनकाउंटर में मारे गए थे।

केस टाइटल: घनश्याम उपाध्याय बनाम उत्तर प्रदेश राज्य| WP (आपराधिक) 177/2020

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