धन शोधन निवारण अधिनियम के बेतहाशा इस्तेमाल से यह कानून कमज़ोर होगा : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2021-12-15 10:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) के बेतहाशा उपयोग के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की। बेंच के अनुसार इस तरह की प्रैक्टिस से यह अधिनियम कमजोर होगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की खंडपीठ ने दो मामलों की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की जहां याचिकाकर्ताओं को पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत आरोपी बनाया गया है।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने कहा,

"आप अधिनियम को कमजोर कर रहे हैं। सिर्फ इस मामले में नहीं। यदि आप इसे 10000 रुपये के मामले और 100 रुपये के मामले में हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू करते हैं तो क्या होगा? आप सभी लोगों को सलाखों के पीछे नहीं डाल सकते। आपको इसका उचित उपयोग करना होगा।"

न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना ने कहा,

"यदि आप ईडी की कार्यवाही का बेतहाशा उपयोग करना शुरू करते हैं तो यही होता है। इससे अधिनियम अपनी प्रासंगिकता खो देगा।"

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

"हर मामले में अगर आप इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह काम नहीं करता है। यह काम करने का तरीका नहीं है।"

पीठ ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत आरोपी नरेंद्र कुमार पटेल को अग्रिम जमानत देने के तेलंगाना हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 42O, 467,468 और 471 के साथ पठित धारा 120-बी और धारा 13(2) के साथ धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 13(1Xd) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दर्ज मामले के संबंध में अग्रिम जमानत दी गई है।

प्रवर्तन निदेशालय ने बैंक धोखाधड़ी मामले में पीएमएलए के तहत जनवरी 2021 में मेसर्स जय अम्बे गौरी केम लिमिटेड के निदेशक पटेल को गिरफ्तार किया था।

अदालत द्वारा सुना जा रहा दूसरा मामला उषा मार्टिन लिमिटेड द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका थी, जिसमें झारखंड हाईकोर्ट ने पीएमएलए के तहत शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही में उन्हें जारी किए गए समन के संबंध में राहत देने से इनकार कर दिया था। बेंच ने आज नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ता को अगले आदेश तक कठोर कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की।

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