नाबालिग के किसी अपराध से किसी तरह का कलंक नहीं जुड़ा है : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2019-11-30 12:00 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी नाबालिग को सजा मिलती भी है तो इसके अपराध से किसी तरह का कलंक नहीं जुड़ा है।

आईपीसी की धारा 354, 447 और 509 के तह जब रमेश बिश्नोइ के खिलाफ आरोप तय हुए तो उस समय वह नाबालिग था। चूंकि शिकायत करने वाली लड़की और उसके मां-बाप उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिद्ध करने के लिए कोई सबूत नहीं पेश कर पाए, इसलिए उसे बरी कर दिया गया।

इसके बाद रमेश ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती परीक्षा पास कर ली। कमेटी ने उसे इस आधार पर सीआईएसएफ में नियुक्ति के योग्य नहीं पाया क्योंकि बीते समय में उसके खिलाफ आपराधिक मामला दायर हो चुका है। हाईकोर्ट ने कमेटी के इस निर्णय के खिलाफ उसकी याचिका स्वीकार कर ली और कमेटी को उसकी नियुक्ति पर गौर करने को कहा।

भारत संघ की अपील पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति यूयू ललित और  न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने कहा कि उसके खिलाफ आरोप सिद्ध नहीं हो पाया।

अदालत ने कहा,

"अगर आरोप सही भी पाए जाते तो उस स्थिति में भी प्रतिवादी को इन आरोपों के आधार पर उसकी नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि जब उसने यह अपराध किया उस समय वह नाबालिग था। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) एक्ट 2000 और जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 में क़ानून का जोर इस पर है कि अगर किसी नाबालिग को सजा भी दी जाती है तो उसे भुला दिया जाना चाहिए ताकि एक नाबालिग के रूप में उसने जो अपराध किया उसके साथ कोई कलंक नहीं जुड़े।


इसका स्पष्ट उद्देश्य है इस तरह के नाबालिग को एक सामान्य व्यक्ति के रूप में समाज में बिना किसी कलंक के दोबारा स्थान देना। जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 की धारा 3 में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और बोर्ड एवं अन्य एजेंसियों के लिए इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के बारे में दिशा निर्देश दिए गए हैं।"

अदालत ने कहा कि जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2015 की धारा 3 के क्लाज़ xiv के अनुसार,

"अगर उसे सजा मिली भी है तो भी उसको इस आधार पर कोई नौकरी प्राप्त करने से रोका नहीं जा सकता है, क्योंकि जब कथित अपराध हुआ और उसके खिलाफ अभियोग का निर्धारण हुआ उस समय वह नाबालिग था। धारा 3(xiv) में यही प्रावधान है और इस प्रावधान का अपवाद इस मामले में लागू नहीं होता है। "

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