सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में SC कोलेजियम ने उच्च न्यायालयों के चार मुख्य न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के रूप में जस्टिस कृष्ण मुरारी, रवींद्र भट, रामसुब्रमण्यम और हृषिकेश रॉय के नामों की सिफारिश की है।
जस्टिस कृष्ण मुरारी, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
जस्टिस एस रवींद्र भट, राजस्थान के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम, हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
जस्टिस हृषिकेश रॉय, केरल के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश।
CJI रंजन गोगोई, जस्टिस बोबडे, रमना, अरुण मिश्रा और आरएफ नरीमन के कॉलेजियम ने कहा कि उन्होंने सभी न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता को ध्यान में रखा है और जहां तक संभव हो सभी उच्च न्यायालयों को उचित प्रतिनिधित्व देने की वांछनीयता को ध्यान में रखा गया है।
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी :
जस्टिस कृष्ण मुरारी इलाहाबाद से हैं। वह 1981 में बार में शामिल हुए और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की। वह जनवरी 2004 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने। उन्होंने जून 2018 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला।
वे अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 5 पर हैं। अगर उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में उच्चीकृत किया जाता है, तो उनके पास 8 जुलाई 2023 तक का कार्यकाल होगा।
न्यायमूर्ति रवींद्र भट :
न्यायमूर्ति रवींद्र भट 2004 से पंद्रह साल तक दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। उन्हें पिछले अप्रैल में राजस्थान उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था।
वह मैसूर, कर्नाटक से हैं और उनकी कानून की शिक्षा दिल्ली के कैंपस लॉ सेंटर से हुई। उन्होंने 1982 में एक वकील के रूप में अपना नामांकन करवाया और दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू की। वे जुलाई 2004 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में वह कई उल्लेखनीय निर्णयों का हिस्सा रहे जैसे कि धारा 377 आईपीसी के विघटन, आरटीआई सीजेआई के कार्यालय में लागू है, इसकी घोषणा आदि।
वे अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 12 पर हैं। यदि उनका प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है तो उनके पास 21 अक्टूबर, 2023 तक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल होगा।
न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम
जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम चेन्नई, तमिलनाडु के निवासी हैं। मद्रास लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक करने के बाद, उन्होंने 16 फरवरी, 1983 को बार के सदस्य के रूप में नामांकन करवाया। चेन्नई में कानून के 23 वर्षों के अभ्यास के बाद उन्हें जुलाई 2006 में मद्रास उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।
27 अप्रैल, 2016 से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए उच्च न्यायालय के न्याय के लिए उनके अनुरोध पर उनका तबादला हैदराबाद कर दिया गया। आंध्र प्रदेश राज्य के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के गठन के बाद वे हैदराबाद वीएफ में तेलंगाना के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बने रहे।
उन्होंने 22 जून, 2019 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वे अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 4 पर हैं।
यदि केंद्र द्वारा उनके नाम के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है तो उनके पास 30 जून, 2023 तक सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में कार्यकाल होगा।
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय को अक्टूबर 2006 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया। साल 2018 में उन्हें केरल के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
रॉय ने 1982 में एल.एल.बी. कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से की। उन्होंने जस्टिस रवींद्र भट के साथ स्नातक किया। शुरुआत में उन्हें बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के तहत नामांकित किया गया और उसके बाद गुवाहाटी स्थानांतरित कर दिया गया। उन्हें 21 दिसंबर 2004 को गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था।
वे अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में सीरियल नंबर 4 पर हैं। यदि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्हें नियुक्त किया जाता है तो उनके पास 1 फरवरी, 2025 तक का कार्यकाल होगा।