हाईवे में टेलिकॉम सहित सभी सेवाओं के लिए कॉमन यूटिलिटी डक्ट पर राष्ट्रीय नीति बनाने पर विचार करें: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह विचार करने को कहा है कि क्या देशभर में हाईवे और अन्य सड़कों के साथ-साथ सभी सार्वजनिक सेवाओं—विशेषकर टेलिकॉम—के लिए कॉमन यूटिलिटी डक्ट तैयार करने पर एक राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए।
चीफ जस्टिस सुर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने इस संबंध में सरकार को चार सप्ताह का समय दिया है।
यह निर्देश 2021 में दायर हरिप्रिया पटेल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सभी पब्लिक यूटिलिटीज़ के लिए कॉमन डक्ट होने से सड़कों को बार-बार खोदने की जरूरत समाप्त होगी, जिससे सार्वजनिक धन की बचत, सड़क क्षति में कमी और दुर्घटनाओं की रोकथाम संभव होगी। याचिका में कहा गया कि एक साथ हाईवे और टेलिकॉम नेटवर्क का निर्माण न केवल संभव है, बल्कि व्यावहारिक भी है।
याचिका के अनुसार, ऐसे मल्टी-डक्ट सिस्टम से रीयल-टाइम ट्रैफिक मैनेजमेंट, बेहतर टोल सुविधा और निर्बाध टेलिकॉम सेवा सुनिश्चित की जा सकती है। याचिकाकर्ता ने बताया कि इस प्रकार के डक्ट की संकल्पना 2002 से विभिन्न सरकारी निकायों में विचाराधीन है, लेकिन मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण इसे मंजूरी नहीं मिल सकी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कॉमन यूटिलिटी डक्ट की अनुशंसा कई विशेषज्ञ समितियों ने की है और इसे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की 22 नवंबर 2016 की गाइडलाइन्स तथा नेशनल डिजिटल कम्युनिकेशंस पॉलिसी, 2018 में भी शामिल किया गया था।
चार सप्ताह बाद केंद्र सरकार को इस बात पर अपना रुख स्पष्ट करना होगा कि क्या वह कॉमन यूटिलिटी डक्ट के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने पर विचार करने को तैयार है।