सुप्रीम कोर्ट चार्जशीट दाखिल होने पर जमानत देने के पहलू पर दिशा-निर्देश देगा
Supreme Court To Issue Guidelines On Grant Of Bail On Filing Of Chargesheet
सुप्रीम कोर्ट चार्जशीट दाखिल होने पर जमानत देने के पहलू पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित कर सकता है।
जस्टिस संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की बेंच ने एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए कहा,
"यह उचित समझा जाता है कि कुछ दिशानिर्देश निर्धारित किए जा सकते हैं, ताकि अदालतों को बेहतर मार्गदर्शन मिले और चार्जशीट दायर होने पर जमानत के पहलू से परेशान न हों।"
एएसजी एस.वी. राजू ने कहा कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा के साथ विचार-विमर्श के बाद कुछ सुझाए गए दिशा-निर्देश प्रस्तुत करेंगे।
पीठ 10 अक्टूबर 2021 को मामले की सुनवाई करेगी।
सिद्धार्थ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में अदालत ने माना था कि सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 170 चार्जशीट दाखिल करते समय प्रत्येक आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए प्रभारी अधिकारी पर दायित्व नहीं डालती।
यह देखा गया कि कुछ ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोप-पत्र को रिकॉर्ड पर लेने के लिए एक पूर्व-आवश्यक औपचारिकता के रूप में एक आरोपी की गिरफ्तारी पर जोर देने की प्रथा गलत है और सीआरपीसी की धारा 170 के बिलकुल विपरीत है।
हाल ही में अमन प्रीत सिंह बनाम सीबीआई में अदालत ने देखा कि, चार्जशीट स्वीकार करते समय, मजिस्ट्रेट या न्यायालय को अनिवार्य रूप से समन की प्रक्रिया जारी करनी होती है न कि गिरफ्तारी का वारंट।
यह भी देखा गया कि, यदि किसी गैर-जमानती अपराध में एक आरोपी को कई वर्षों तक मुक्त रखा गया और जांच के दौरान गिरफ्तार भी नहीं किया गया है तो यह जमानत देने के लिए शासी सिद्धांतों के विपरीत होगा कि उसे अचानक गिरफ्तारी करने का निर्देश दिया जाए, सिर्फ इसलिए क्योंकि चार्जशीट दाखिल कर दी गई है।
केसः सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई; एसएलपी (सीआरएल।) नंबर 5191/2021