सुप्रीम कोर्ट यूक्रेन से लौटे छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने की मांग वाली याचिका पर 15 सिंतबर को सुनवाई करेगा
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रूस के हमले के कारण यूक्रेन से लौटे 2000 मेडिकल छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 15 सिंतबर के लिए टाली है।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने की।
स्थगन का अनुरोध सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अदालत के समक्ष किया गया जिन्होंने कहा,
"यौर लॉर्डशिप ने विदेश मामलों की समिति को संदर्भित किया है, ऐसा लगता है कि उन्होंने एक अनुकूल दृष्टिकोण लिया है। मुझे मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करने की आवश्यकता है।"
अब मामले की सुनवाई 15 सितंबर को होगी।
याचिकाकर्ताओं ने 3 अगस्त को विदेश मामलों की लोकसभा समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर भरोसा किया जिसमें उसने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को एक बार के उपाय के रूप में भारतीय निजी मेडिकल कॉलेजों में यूक्रेन से लौटे छात्रों को समायोजित करने पर विचार करने की सिफारिश की थी।
उक्त सिफारिश के मद्देनज़र याचिकाकर्ताओं ने यूक्रेन के छात्रों के संबंध में भारत सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से उचित निर्णय की मांग की।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने लोक सभा समिति द्वारा की गई सिफारिश को दर्ज किया था।
इस मामले पर पिछली सुनवाई में, पीठ ने भारत सरकार द्वारा बनाई गई नीति के बारे में पूछताछ की थी, जो पहले के निर्देशों के अनुसार कोर्ट को उन छात्रों के लिए एक योजना तैयार करने के लिए पारित किया था जो महामारी के कारण विदेशी चिकित्सा शिक्षा पूरी नहीं कर सके।
पीठ को बताया गया कि जिन छात्रों ने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है, लेकिन चीन जैसे विदेशों में इंटर्नशिप पूरा नहीं कर पाए हैं, उन्हें यहां ऐसा करने की अनुमति दी गई है। हालांकि, यूक्रेन के छात्रों के मामले में, वे सभी फाइनल ईयर में नहीं हैं।
केस टाइटल: अर्चिता और अन्य बनाम राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और अन्य, डब्ल्यूपी (सी) 607/2022 और 6 जुड़े मामले।