शिवसेना चुनाव चिन्ह विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 12 नवंबर को करेगा सुनवाई

Update: 2025-10-08 07:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को उद्धव ठाकरे द्वारा दायर उस याचिका पर 12 नवंबर को सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें भारत के चुनाव आयोग (ECI) द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उसे पार्टी का पारंपरिक चिन्ह धनुष-बाण आवंटित करने के फैसले को चुनौती दी गई।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने ठाकरे की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल द्वारा प्रस्तुत दलीलों पर ध्यान दिया, जिन्होंने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

सिब्बल ने आग्रह किया,

"यह अत्यावश्यक है। स्थानीय चुनाव जनवरी में निर्धारित हैं। कृपया इस पर जल्द से जल्द सुनवाई करें।"

इस अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा,

"हम इस पर 12 नवंबर को सुनवाई करेंगे।"

सिब्बल ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष द्वारा एकनाथ शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने से इनकार करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं को भी सूचीबद्ध करने की मांग की।

जस्टिस कांत ने कहा कि अयोग्यता का मामला अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। उन्होंने कहा कि दोनों मामलों को एक साथ सूचीबद्ध करने के लिए सिब्बल को चीफ जस्टिस की अनुमति लेनी होगी। सिब्बल इसके लिए सहमत हो गए।

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी एकनाथ शिंदे की ओर से पेश हुए।

याचिका में चुनाव आयोग के फरवरी, 2023 के आदेश की आलोचना की गई, जिसमें राज्य में 2022 के राजनीतिक संकट के बाद शिवसेना में विभाजन के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह दिया गया।

ठाकरे गुट ने तर्क दिया कि चुनाव आयोग ने संगठनात्मक ढांचे के भीतर पार्टी के बहुमत की वास्तविक परीक्षा पर विचार नहीं किया। इसके बजाय निर्वाचित विधायकों के बीच शिंदे गुट की ताकत को अनुचित महत्व दिया।

वर्तमान मामले में नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले के लंबित रहने तक उद्धव समूह को ECI आदेश के पैराग्राफ 133(IV) के अनुसार "शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)" नाम और "ज्वलंत मशाल" प्रतीक को बरकरार रखने की अनुमति दी।

Case Title: UDDHAV THACKERAY Versus EKNATHRAO SAMBHAJI SHINDE AND ANR., SLP(C) No. 3997/2023

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