सुप्रीम कोर्ट गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले की अपील पर मार्च 2024 में सुनवाई करेगा

Update: 2023-10-12 04:49 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (11 अक्टूबर) को 2002 के गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले से संबंधित अपीलों का एक बैच मार्च 2024 के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए पोस्ट किया। इस मामले में दोषियों द्वारा दायर अपील और कुछ के खिलाफ राज्य द्वारा दायर अपील भी शामिल हैं। राज्य ने हाईकोर्ट द्वारा ग्यारह व्यक्तियों की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदलने के फैसले को चुनौती देते हुए अपील भी दायर की है।

जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने गुजरात राज्य को 15 फरवरी या उससे पहले एक आवेदन (convenience compilation) दाखिल करने को कहा और इसके अलावा, मार्च, 2024 के पहले सप्ताह से पहले प्रस्तुतीकरण का ब्रीफ नोट दाखिल करने को कहा।

गुजरात राज्य की ओर से पेश वकील ने बेंच को अवगत कराया कि रिकॉर्ड भारी हैं और वे सभी दोषियों के लिए साक्ष्य चार्ट तैयार कर रहे हैं और बरी करने के भी खिलाफ हैं।

यह अपराध 27 फरवरी 2002 को हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप साबरमती एक्सप्रेस के एस -6 कोच के अंदर आग लगने से 58 लोगों की मौत हो गई थी, जो अयोध्या से कार सेवकों (हिंदू धार्मिक स्वयंसेवकों) को ले जा रही थी। गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।

मार्च 2011 में, ट्रायल कोर्ट ने 31 व्यक्तियों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा सुनाई गई और शेष 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 63 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया। गुजरात हाईकोर्ट ने 2017 में 11 लोगों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया और अन्य 20 को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।

सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई, 2022 को एक दोषी अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ ​​कनकट्टो या जाम्बुरो को इस आधार पर छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी कि उसकी पत्नी टर्मिनल कैंसर से पीड़ित थी और उसकी बेटियां मानसिक रूप से विकलांग थीं । 11 नवंबर, 2022 को कोर्ट ने उसकी जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में फारूक नाम के एक अन्य आजीवन दोषी को इस तथ्य पर विचार करते हुए जमानत दे दी कि वह 17 साल की सजा काट चुका है और उसकी भूमिका ट्रेन पर पथराव करने की पाई गई थी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने बाद में 21 अप्रैल, 2023 को कारावास की अवधि (17-18 वर्ष) और अपराध में व्यक्तिगत भूमिका को देखते हुए आठ आवेदकों को जमानत दे दी।

उल्लेखनीय है कि 14 अगस्त, 2023 को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने तीन व्यक्तियों ( सौकत यूसुफ इस्माइल मोहन, सिद्दीक और बिलाल अब्दुल्ला इस्माइल बादाम) को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

केस टाइटल : अब्दुल रहमान धंतिया @ कनकट्टो @ जंबुरो बनाम अब्दुल रहमान धंतिया @ कनकट्टो @ जंबुरो बनाम गुजरात राज्य | आपराधिक अपील नंबर 522-526/2018

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