सुप्रीम कोर्ट ने अर्थतत्व घोटाले से जुड़े मामले में ओडिशा के पूर्व एडवोकेट जनरल अशोक मोहंती के खिलाफ ट्रायल पर रोक लगाई

Update: 2023-02-16 02:44 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हाल ही में ओडिशा राज्य के पूर्व एडवोकेट जनरल अशोक मोहंती के खिलाफ अर्थ तत्व घोटाले से संबंधित एक मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने कहा,

"चूंकि ये इंगित किया गया है कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही को याचिकाकर्ता के रूप में रोक दिया गया, जब मामला उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित था। हम उक्त कार्यवाही में केवल याचिकाकर्ता के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक लगाना उचित समझते हैं।"

बेंच ने पिछले साल अक्टूबर में पारित उड़ीसा उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में नोटिस जारी करते हुए ये बात कही।

अक्टूबर में, उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ उसकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए मोहंती को राहत देने से इनकार कर दिया था, जिसने मामले में उसकी डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया था।

13 फरवरी को सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने खंडपीठ को सूचित किया कि उच्च न्यायालय के समक्ष भी निचली अदालत की कार्यवाही (याचिकाकर्ता के खिलाफ) पर रोक लगा दी गयी थी। बसंत को एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड गौरव खन्ना ने जानकारी दी।

अर्थतत्व समूह की कंपनियों के मालिक प्रदीप सेठी ने कथित तौर पर कंपनी द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं और विभिन्न परियोजनाओं के तहत सस्ते फ्लैटों/भूखंडों के तहत ब्याज और प्रोत्साहन के मामले में उच्च रिटर्न प्रदान करने के लिए कई निर्दोष निवेशकों को उनके पैसे से धोखा दिया।

मामले की अगली सुनवाई 5 अप्रैल को होगी।

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ता ने 2009-2014 के बीच ओडिशा राज्य के लिए एडवोकेट जनरल के रूप में कार्य किया। अर्थतत्व कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक आरोपी प्रदीप सेठी ने कथित तौर पर उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश से बिदनाशी, कटक में स्थित इमारत को एक करोड़ रुपये में खरीदा। आरोप है कि उसने उक्त भवन को खरीदने के लिए निवेशकों से एकत्र धन का इस्तेमाल किया। बाद में वही इमारत मोहंती (याचिकाकर्ता) को बेच दी गई।

हालांकि बिक्री का लेनदेन 1,01,00,000/- (रुपये एक करोड़ और एक लाख) रुपये का परिलक्षित हुआ था। अभियोजन द्वारा यह आरोप लगाया गया कि वास्तव में याचिकाकर्ता द्वारा सेठी को 70,00,000/- (रुपये सत्तर लाख) का भुगतान किया गया। इसलिए यह कहा गया कि उसने अवैध रूप से जनता के 31 लाख रुपये का गबन किया।

उक्त लेन-देन के समय जमाकर्ताओं द्वारा सेठी के विरुद्ध घोर विरोध किया गया। इसके बाद सेठी ने अग्रिम जमानत के लिए उड़ीसा हाईकोर्ट का रुख किया। अभियोजन पक्ष द्वारा यह आरोप लगाया गया कि मोहंती ने सेठी के साथ आपराधिक साजिश की और उक्त आवेदन पर कोई गंभीर आपत्ति न देकर और केस डायरी भी नहीं बुलाकर जमानत प्रदान करना सुनिश्चित किया।

याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता ('आईपीसी') की धारा 120-बी, 406, 409, 411, 420, 468, 471 के तहत प्राइज चिट्स और मनी सर्कुलेशन स्कीम (प्रतिबंध) अधिनियम, 1978 ('1978 अधिनियम') की धारा 4, 5 और 6 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया। इसके बाद उन्होंने आईपीसी की धारा 239 के तहत आवेदन दायर किया। हालांकि, इसे विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई), भुवनेश्वर ने खारिज कर दिया।

केस टाइटल: अशोक @ अशोक मोहंती बनाम भारत गणराज्य | विशेष अनुमति अपील (क्रि.) संख्या 1775/2023




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