सुप्रीम कोर्ट ने नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए विशेष आयोग गठित करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

Update: 2021-09-20 04:37 GMT
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (17 सितंबर) को ग्वालियर, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना, भिंड और दतिया जिले में चलाए जा रहे नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए वकीलों, जिला जज और जिला कलेक्टर को मिलाकर आयोग गठित करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने म.प्र. सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973 के तहत पंजीकृत निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन द्वारा उच्च न्यायालय के 18 अगस्त, 2021 के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका में नोटिस जारी किया।

उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए एसोसिएशन ने तर्क दिया कि गैर-चिकित्सा क्षेत्रों के लोगों जैसे वकीलों, जिला न्यायाधीशों और कलेक्टरों द्वारा नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के लिए निर्देश जारी करने में उच्च न्यायालय सही नहीं है।

भुवनेश्वरी पाठक के माध्यम से दायर एसएलपी में एसोसिएशन भी हाईकोर्ट के उस निर्देश से व्यथित थे, जिसमें याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय के समक्ष दायर रिट याचिका में निरीक्षण के समय उपस्थित रहने की अनुमति दी गई थी।

याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम, 2018 बनाया है और मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद को निरीक्षण की शक्ति दी गई है।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा,

"जब भी परिषद और विश्वविद्यालय ने वर्ष में एक बार निरीक्षण किया, तो यह चिकित्सा क्षेत्र के लोगों द्वारा किया गया था, जिसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ डॉक्टर और सरकारी नर्सिंग कॉलेज के एक प्रिंसिपल शामिल थे।"

याचिकाकर्ता ने अपने एसएलपी में कहा कि निरीक्षण के लिए वैधानिक निकाय और किसी अन्य निकाय द्वारा निरीक्षण के निर्देश केवल भारतीय नर्सिंग परिषद द्वारा जारी किए जा सकते हैं।

एसोसिएशन ने बटेश्वरी दयाल मिश्र शिक्षा समिति बनाम मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद एंड अन्य (2019) 5 एससीसी 379 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी भरोसा किया है, जिसमें नर्सिंग कॉलेज का निरीक्षण विशेष निकाय, यानी मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद द्वारा किया गया था।

याचिका में कहा गया है,

"अधिकांश नर्सिंग कॉलेज 20 साल से चल रहे हैं और निरीक्षण हर साल मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद और विश्वविद्यालय द्वारा भी किया जाता है। नर्सिंग कॉलेज की मान्यता भी मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद द्वारा की जाती है। मध्य प्रदेश नर्सिंग शिक्षण संस्थान मान्यता नियम, 2018 का नियम 5 और यहां तक कि नियम 8 के तहत मान्यता को भी मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद द्वारा रद्द किया जा सकता है। "

शीर्ष न्यायालय 25 अक्टूबर, 2021 को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध करते हुए ने उच्च न्यायालय में मूल रिट याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय में उसकी ओर से पेश होने वाले अधिवक्ता के माध्यम से पेश होने का भी निर्देश दिया।

केस का शीर्षक: प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन बनाम हरिओम एंड अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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