सुप्रीम कोर्ट ने जेलर को धमकी देने के मामले में मुख्तार अंसारी को बरी करने के आदेश को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

Update: 2023-01-02 12:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत 23 साल पुराने एक मामले में 5 साल जेल की सजा सुनाई थी। साथ ही जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने वर्ष 1999 में दर्ज एक मामले में गैंगस्टर्स अधिनियम के तहत अंसारी को आरोपों से बरी करने के एमपी-एमएलए कोर्ट द्वारा पारित 2020 के आदेश को रद्द कर दिया था।

जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस विक्रम नाथ ने सोमवार की सुनवाई में हाईकोर्ट के फैसले को स्थगित रखते हुए नया आदेश पारित किया।

हाईकोर्ट ने इस आधार पर बरी करने का आदेश रद्द कर दिया कि मामले की अध्यक्षता कर रहे विशेष न्यायाधीश ने मुख्य ट्रायल में जेलर द्वारा दिए गए साक्ष्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया।

एकल न्यायाधीश ने कहा,

"ट्रायल कोर्ट का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से गलत है और अच्छी तरह से स्थापित कानूनी स्थिति के खिलाफ है। निचली अदालत द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश टिकने योग्य नहीं है।"

जस्टिस गवई ने इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि बरी में हस्तक्षेप केवल कुछ मामलों में और विशिष्ट मापदंडों के आधार पर वारंट किया गया, उत्तर प्रदेश राज्य के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद से पूछा,

"एकल न्यायाधीश का निष्कर्ष कहां है कि निष्कर्ष ट्रायल कोर्ट द्वारा दर्ज की गई पूरी तरह से विकृत और असंभव है?"

अंसारी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा,

''माई लॉर्ड, यहां तक कि शिकायतकर्ता भी अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करता। मैं इस तरह से कुछ भी कभी नहीं देखा। एक भी गवाह अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं करता है और निचली अदालत आरोपी को बरी कर देती है। इसके बावजूद, हाईकोर्ट बरी करने के फैसले को उलट देता है।

यह मामला 2003 का है, जब लखनऊ जिला जेल के जेलर एस.के. अवस्थी ने अंसारी के खिलाफ कथित तौर पर मेहमानों की तलाशी लेने का आदेश देने पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया।

शिकायतकर्ता ने पूर्व विधायक पर पिस्टल तानने और गाली गलौज करने का भी आरोप लगाया। ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में अंसारी को बरी कर दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपील दायर की, जिसे जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की इलाहाबाद बेंच ने स्वीकार कर लिया। अंसारी फिलहाल उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद है।

केस टाइटल- मुख्तार अंसारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य [एसएलपी (सीआरएल) नंबर 12015/2022]

Tags:    

Similar News