सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद कर्मचारी भर्ती प्रक्रिया की सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई

Update: 2023-10-13 12:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद ‌हाईकोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसके तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उत्तर प्रदेश विधान परिषद के कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने 23 सितंबर को हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले के खिलाफ यूपी विधान परिषद द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।

मामला यूपी विधान परिषद सचिवालय (भर्ती एवं सेवा शर्ते) नियमावली, 1976, 2019 में एक संशोधन से उपजा है, जिसने यूपी लोक सेवा आयोग को भर्ती प्रक्रिया से हटा दिया। मौजूदा मामले में विधान परिषद सचिवालय में कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी।

हाईकोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने मामले को खारिज कर दिया था, लेकिन जब यह इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील में गया, तो उसने उत्तर प्रदेश विधान सभा और परिषद के कर्मचारियों के लिए भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को मामले की प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया।

आदेश में कहा गया,

"राज्य सरकार या किसी भी रिक्रूटमेंट एजेंसी को न केवल रिक्रूटमेंट बॉडी के कामकाज में बहुत अधिक भरोसमंद बनाना पड़ता है, बल्कि प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 की कसौटी पर भी खरा उतरना चाहिए, ऐसा न करने पर यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायिक पुनर्विचार के दायरे में न्यायिक जांच के लिए उत्तरदायी होगा।

हाईकोर्ट के आदेश से निराश होकर वर्तमान यूपी विधान परिषद की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी।


केस टाइटल: उत्तर प्रदेश विधान परिषद बनाम सुशील कुमार

साइटेशन: एसएलपी (सी) संख्या 22746/2023


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