सुप्रीम कोर्ट ने Congress अध्यक्ष खड़गे को 'अयोग्य' कहने वाले व्यक्ति को राहत दी
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, जिसमें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 'अयोग्य' कहने के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ जांच की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में SC/ST Act की धारा 3(2)(वी-ए) के तहत आरोपों को रद्द कर दिया था, लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा एस.153-ए, 153-बी, 505(2) के तहत अपराधों के खिलाफ चुनौती खारिज की थी। हाईकोर्ट ने इन अपराधों के संबंध में जांच जारी रखने की अनुमति दी।
घटना की जड़ कर्नाटक के रायचूर के सिरवारा में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए भाषण से जुड़ी है, जहां उन्होंने खड़गे के लिए 'अयोग्य' शब्द का इस्तेमाल किया था। इसके बाद दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता ने कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल पीड़ित की जाति के प्रति घृणा, हिंसा भड़काने और धोखेबाज के रूप में उनकी झूठी छवि बनाने के लिए किया गया था। शिकायतकर्ता जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कांग्रेस पार्टी के अनुयायियों या प्रशंसकों की भावनाओं को भड़काने और उन्हें ठेस पहुंचाने की संभावना को वर्तमान चरण में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। लागू किया गया ट्रायल उचित, मजबूत दिमाग वाले व्यक्तियों के लेंस से शब्दों का आकलन करना था, न कि "कमजोर और अस्थिर दिमाग वाले लोगों के और न ही उन लोगों के जो हर शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण में खतरे को भांपते हैं।"
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि (1) हाईकोर्ट ने 'अयोग्य' शब्द की गलत व्याख्या 'बदमाश' के रूप में की है, क्योंकि इसका सबसे करीबी अर्थ 'बेकार' है" और (2) विवादित आदेश भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए, 153-बी और 505 के तत्वों पर चर्चा करने में विफल रहा।
केस टाइटल: मिथुन चक्रवर्ती देवीदास शेट बनाम कर्नाटक राज्य डायरी नंबर- 46413/2024