सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे की पहचान का इस्तेमाल कर ठगी के एक मामले में ओएलएक्‍स इंडिया के खिलाफ जारी हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाई

Update: 2022-01-13 06:25 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से ओएलएक्स इंडिया को जारी किए गए निर्देशों पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए थे कि ओएलएक्स इंडिया अपने प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन पोस्ट करने वालें विक्रेताओं के लिए एक स्क्रीनिंग मैकेनिज्‍म बनाए।

जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 12 दिसंबर, 2021 के आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी पर विचार कर रही थी।

पीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा, "आगे विचार किए जाने तक, आक्षेपित आदेश के प्रभाव और संचालन पर रोक रहेगी।"

मौजूदा मामले में हाईकोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बिक्री विज्ञापन अपलोड करने के लिए लिए एक व्यक्ति द्वारा दूसरे का भेष धरने के मामले पर विचार करते हुए ओएलएक्स के खिलाफ निर्देश पारित किए थे।

याचिकाकर्ता यानी ओएलएक्स इंडिया बीवी की ओर से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए और पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित प्रतिकूल आदेश के बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया। लूथरा ने बताया कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत बिचौलियों को प्रदान की गई "सुरक्षा" की योजना के विपरीत है।

आगे यह तर्क दिया गया कि इस तरह के निर्देश अनु कुमार बनाम राज्य (यूटी प्रशासन) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत थे , जिसमें कहा गया था कि एक हाईकोर्ट धारा 482 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी तीसरे पक्ष को अवलोकन या निर्देश जारी नहीं कर सकता है, जो न तो उसके सामने है और न ही उसे सुनवाई का अवसर दिया गया है।+

याचिका में कहा गया,

"ओएलएक्‍स प्लेटफॉर्म एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस होने के नाते विक्रेताओं को संभावित खरीदारों से जोड़ता है और एक अखबार के क्लासीफाइड कॉलम के समान एक खरीदार और एक विक्रेता के बीच एक निष्क्रिय जर‌िए से ज्यादा कुछ नहीं है। याचिका में कहा गया है कि यह प्लेटफॉर्म की निष्क्रिय भूमिका ही है, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 2(1)(w) के तहत परिभाषित "मध्यस्थ" के रूप में इसे योग्य बनाती है।

ओएलएक्‍स इंडिया बीवी की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा का सहयोग अभिनय शर्मा (एओआर), उत्सव त्रिवेदी, आसिफ अहमद, हिमांशु सचदेवा और शिवानी भूषण ने किया।

हाईकोर्ट के समक्ष मामला

22 जनवरी, 2021 कोएक पुलिस अधिकारी याचिकाकर्ता के घर आया और उसे नोटिस दिया कि उमर अली, जिसने याचिकाकर्ता के आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था, उसने मोटरसाइकिल की बिक्री के संबंध में OLX प्लेटफॉर्म पर एक विज्ञापन लगाया था और इस प्रक्रिया में उसे खरीदने के लिए आने वाले खरीदार को धोखा दिया था।

अधिकारी ने याचिकाकर्ता को आगे बताया कि इस संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। जब याचिकाकर्ता ने यमुनानगर के जिला न्यायालयों में अपने वकील के माध्यम से मामले के तथ्यों के बारे में पूछताछ करने की कोशिश की, तो उन्हें पता चला कि एक उमर अली के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसने मोटरसाइकिल की बिक्री के संबंध में धोखाधड़ी की थी।

याचिकाकर्ता ने इस प्रकार हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर 23 जून, 2020 को आईपीसी की धारा 420 के तहत एफआईआर में निष्पक्ष जांच करने के निर्देश जारी करने की प्रार्थना की थी।

यह देखते हुए कि चूंकि अदालत हर दिन इसी तरह के मामलों से निपट रही थी, जिसमें आरोपी निर्दोष लोगों को धोखा देने के लिए ओएलएक्स प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे थे, जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान की पीठ ने गृह सचिव, हरियाणा सरकार, पुलिस महानिदेशक, हरियाणा को नोटिस जारी किया कि वे न्यायालय को बताएं कि क्या ओएलएक्स या किसी अन्य समान एजेंसी जैसे प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन देने के संबंध में कोई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

पीठ ने यह स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दाखिल करने का भी निर्देश दिया कि क्या दिशा-निर्देश देना संभव है। ओएलएक्‍स को प्रत्येक विज्ञापन को हटाने और एक खुली पीडीएफ फाइल संलग्न करने के बाद ही प्लेटफॉर्म पर सभी विज्ञापनों को फिर से सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए गए।

केस शीर्षक : ओएलएक्‍स इंडिया बीवी बनाम हरियाणा राज्य और अन्या | SLP 70 of 2022

कोरम : जस्टिस यूयू ललित, एस रवींद्र भट और बेला एम त्रिवेदी


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