सुप्रीम कोर्ट ने पाटीदार आरक्षण के दौरान हिंसा मामले में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की सजा पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष हार्दिक पटेल की 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान कथित हिंसा को लेकर दर्ज एक मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगा दी।
जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ गुजरात हाईकोर्ट के दिनांक 29.03.2019 के आदेश की आलोचना करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें हार्दिक की 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए दोषसिद्धि को निलंबित करने की याचिका खारिज कर दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि हालांकि इस मामले में सजा को निलंबित कर दिया गया, क्योंकि सजा पर रोक नहीं लगाई गई। इस कारण पटेल 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सके।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए कहा कि दोषसिद्धि पर रोक लगाने की शक्ति का प्रयोग करना हाईकोर्ट के लिए उपयुक्त मामला है।
हार्दिक पटेल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देना भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत संरक्षित उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वह 2019 में चुनाव लड़ने का मौका पहले ही गंवा चुके हैं।
गुजरात राज्य की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बेंच को अवगत कराया कि दोषसिद्धि का निलंबन आपराधिक कानून के मापदंडों पर आधारित होना चाहिए, न कि इस पर कि क्या पटेल चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 395 के तहत गंभीर आरोप हैं।
कोर्ट ने निर्देश दिया,
"वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह को सुनने और तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमारा विचार है कि यह हाईकोर्ट के लिए दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए उपयुक्त मामला है। इसके द्वारा अपीलों पर तदनुसार निर्णय नहीं लिए जाने तक दोषसिद्धि पर रोक लगाई जाती है।"
2015 में पटेल ने पाटीदारों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की स्थिति की मांग करते हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व किया था। उन पर विसनगर भाजपा विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ करने का आरोप था। 2018 में मेहसाणा जिले के विसनगर में एक सत्र अदालत ने पटेल को 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान दंगा और आगजनी के लिए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने सजा को निलंबित कर दिया था।
पटेल ने 2019 के चुनावों के मद्देनजर दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि जनप्रतिनिधि अधिनियम में कहा गया कि दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा का सामना करने वाला दोषी तब तक चुनाव नहीं लड़ सकता जब तक कि उसकी सजा पर रोक नहीं लग जाती। हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
[मामले का शीर्षक: हार्दिक भरतभाई पाटिल बनाम गुजरात राज्य एसएलपी (सीआरएल) संख्या 9033 of 2021]