सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में शहरी गरीबों के लिए दो आश्रय गृहों पर NALSA से रिपोर्ट मांगी
दिल्ली के आनंद विहार और सराय काले खां में बेघर लोगों के लिए अस्थायी आश्रय गृहों के स्थानांतरण से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने NALSA को प्रस्तावित नए आश्रय गृहों में राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं की क्षमता और गुणवत्ता पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई, जस्टिस एनवी अंजारिया और जस्टिस आलोक अराधे की बेंच देश भर में शहरी बेघरों के लिए आश्रय गृह स्थापित करने के मुद्दे पर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
केंद्र सरकार के वकीलों ने दलील दी कि आनंद विहार और सराय काले खां में स्थित मौजूदा अस्थायी आश्रय गृहों को स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, क्योंकि वे मेट्रो विकास परियोजनाओं के रास्ते में आ रहे हैं। बेंच को बताया गया कि वर्तमान में मेट्रो निर्माण कार्य रुका हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी भी उपस्थित हुईं।
याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने हस्तक्षेप करते हुए बताया कि अतीत में भी 15 आश्रय गृहों को अवैध रूप से ध्वस्त किया गया और उनमें रहने वालों को स्थानांतरित नहीं किया गया। उन्होंने आगे कहा कि राज्य जिन आठ आश्रय गृहों को बंद करना चाहता है, उनमें वर्तमान में 1000 से ज़्यादा लोग रह रहे हैं।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए न्यायालय ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) को निर्देश दिया कि वह एक अधिकारी नियुक्त करे, जो उस स्थल पर मौजूद अस्थायी आश्रय गृहों के साथ-साथ प्रस्तावित पुनर्वास स्थलों की गुणवत्ता का निरीक्षण करे।
बेंच ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:
"हम NALSA के निदेशक को निर्देश देते हैं कि वह NALSA का अधिकारी नियुक्त करें, जो इस मुद्दे की जांच करेगा और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा: (1) पैरा 9 (2) में वर्णित आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों की संख्या; क्या राज्य द्वारा प्रस्तावित वैकल्पिक स्थल उन आश्रय गृहों में रहने वाले लोगों के रहने के लिए पर्याप्त है; (3) स्थल पर उपलब्ध सुविधाएं। रिपोर्ट आज से 2 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जाए।"
भूषण ने यह भी मुद्दा उठाया कि NALSA द्वारा किए गए पिछले निरीक्षणों में अधिकारी दिन के समय गए, जब आश्रय गृहों में रहने वाले अधिकांश लोग अपने-अपने काम पर जाते हैं और अधिकांश रात में उन आश्रय गृहों में सोने के लिए लौटते हैं।
इसे स्वीकार करते हुए बेंच ने निर्दिष्ट किया कि नियुक्त अधिकारी रात 8 बजे के बाद ही निरीक्षण करेगा।
Case Details : E.R. Kumar v. Union of India | Writ Petition (Civil) No. 55 of 2003