सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में जम्मू-कश्मीर में माकपा नेता एमवाई तारिगामी की कथित अवैध हिरासत पर केंद्र से जवाब मांगा

Update: 2023-03-15 09:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र सरकार से इस आरोप का जवाब मांगा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI(M)) के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी को 2019 में जम्मू और कश्मीर में बिना किसी औपचारिक आदेश के हिरासत में रखा गया था।

जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुलगाम से चार बार के विधायक तारिगामी की नजरबंदी के खिलाफ 2019 में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने आदेश में कहा,

"तारिगामी के कथित अवैध हिरासत के बारे में जवाब दाखिल किया जाए।“

एएसजी ने कहा है कि वह आज से दो सप्ताह में इन आरोपों से निपटने के लिए हलफनामा दाखिल करेंगे।

जब सुनवाई शुरू हुई, तो भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने खंडपीठ को बताया कि याचिका में कुछ भी नहीं बचा है, क्योंकि तारिगामी को रिहा कर दिया गया था।

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील शादान फरासत ने बेंच का ध्यान 16 सितंबर, 2019 के एक आदेश की ओर आकर्षित किया, जिसने कथित हिरासत की वैधता तय करने के लिए याचिका को जीवित रखा था।

फरासत ने कहा कि वो तारिगामी को उनकी गरिमा की बहाली के मामले में मुआवजे के लिए आग्रह करेंगे।

उन्होंने खंडपीठ से कहा,

"अगर मैं यौर लॉर्डशिप को समझाने में सक्षम हूं कि डिटेंशन अवैध है, तो मैं गरिमा के पहलू पर बात कर रहा हूं, अनिवार्य रूप से पैसे या मुआवजे के लिए नहीं।“

मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।

अगस्त, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सीताराम येचुरी को हिरासत में लिए गए पार्टी नेता से मिलने के लिए कश्मीर की यात्रा करने की अनुमति दी, ताकि उनके ठिकाने और चिकित्सा कल्याण का पता लगाया जा सके। उसी साल सितंबर में, अदालत ने तारिगामी को एम्स दिल्ली में स्थानांतरित करने का आदेश दिया।

येचुरी ने कहा था कि वह तत्कालीन 72 वर्षीय तारिगामी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं।

16 सितंबर, 2019 को कोर्ट को एम्स से तारिगामी के डिस्चार्ज समरी की जानकारी दी गई। इसके बाद पीठ ने आदेश दिया कि तारिगामी अपने गृह राज्य लौटने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, पीठ ने यह मानने से इनकार कर दिया कि तारिगामी जम्मू-कश्मीर में अपनी इच्छानुसार घूमने के लिए स्वतंत्र थे।

केस टाइटल: सीताराम येचुरी बनाम यूओआई और अन्य। ओडब्ल्यूपी (सीआरएल) संख्या 229/2019


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