सुप्रीम कोर्ट ने मनु के वर्णाश्रम सिद्धांतों और नियमों को खत्म करने की मांग वाली याचिका खारिज की

Update: 2022-09-07 08:24 GMT
सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मनु (Manu) के वर्णाश्रम सिद्धांतों और नियमों को खत्म करने की मांग वाली रिट याचिका खारिज कर दी।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने कहा कि याचिका पूरी तरह से गलत है।

2020 में डॉ एम देवनायगम द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका में सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित निर्देश मांगे गए:

1. मनु के नियमों / वरश्रम के सिद्धांतों को समाप्त करें क्योंकि इससे भारत के लोगों में धर्म, जाति, भाषा, संप्रदाय आदि के आधार पर भेदभाव पैदा होता है।

2. भारत भर में विभिन्न रूपों में प्रचलित मनु के नियमों की जांच की जाए और नियमों को असंवैधानिक घोषित किया जाए।

डॉ.एम.देवनायगम ने तमिलनाडु में थान्थाई पेरियार की मूर्तियों के नीचे से नास्तिक शिलालेखों को हटाने के लिए मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की थी।

हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की दी थी और कहा था कि थान्थाई पेरियार के अनुयायियों को, भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अधिकारों का प्रयोग करते हुए, ईश्वर के अस्तित्व से असहमत होने का अधिकार है।

केस: डॉ.एम.देवनायगम बनाम भारत संघ | डब्ल्यूपी (सी) 311/2020

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