सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 के इलाज में 'लाल चींटी की चटनी' के प्रभावी होने का दावा करने वाली याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (9 सितंबर 2021) को COVID-19 के इलाज में 'लाल चींटी की चटनी' के प्रभावी होने का द्वारा करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका में 'लाल चींटी की चटनी' से COVID-19 वायरस के संक्रमण को रोकने का दावा किया गया था।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एसएलपी को खारिज करते हुए कहा,
"हम विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं।"
सहायक अभियंता (सिविल), तकटपुर, आर एंड बी अनुभाग, बारीपदा, जिला मयूरभंज के रूप में कार्यरत एर. नयाधर पधियाल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर दावा किया था कि 'काई (कुकुटी) चटनी (पेस्ट) ' जो हरी मिर्च (धनुआ लंका) के साथ लाल चींटियों का उपयोग करके तैयार की जाती है, प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में एक प्रभावशाली दवा है। इस प्रकार यह दवा COVID-19 वायरस संक्रमण को रोक सकती है।
एर. नयाधर बथुडी आदिवासी समुदाय से हैं।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने उनके अभ्यावेदन पर विचार करने के बाद कहा कि वर्तमान में उसके पास एंटोमोफैगी के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता नहीं है और इसलिए वह इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगा।
वहीं सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज ने कहा कि COVID-19 रोगी द्वारा लाभकारी उपयोग के लिए लाल चींटी की चटनी या सूप का उपयोग "ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 और 1945 के नियामक प्रावधानों के अनुसार आयुर्वेद दवाओं के दायरे से बाहर है।
मुख्य न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति बीपी राउतरे की हाईकोर्ट की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आदिवासी समुदायों द्वारा औषधीय और चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए लाल चींटी की चटनी या सूप का उपयोग उनकी पारंपरिक ज्ञान प्रणाली पर आधारित है। इस पर कोर्ट कोई टिप्पणी नहीं कर सकता।
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