सुप्रीम कोर्ट ने महामारी के दौरान वकीलों के लिए ब्याज मुक्त ऋण की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें वकील के लिए 20 लाख रूपए तक के लिए ब्याज मुक्त ऋण की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने याचिकाकर्ता-संघ, सुप्रीम कोर्ट के वकील संघ से याचिका वापस लेने और इसके बजाय एक अन्य मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर करने को कहा जो इसी मुद्दे पर अदालत के समक्ष लंबित है।
"आप एक अपंजीकृत संगठन हैं। हम इस मुद्दे पर बहुत अधिक कार्यवाही नहीं चाहते।"
सीजेआई ने याचिकाकर्ता संघ को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा, अन्य लंबित मामले में हस्तक्षेप दायर करें।
पीठ और एसोसिएशन के वकील एडवोकेट परीना स्वरूप के बीच हल्का एक्सचेंज भी हुआ।
एडवोकेट स्वरूप ने कहा,
"माय लार्ड कृपया मेरी याचिका की अनुमति दे , माय लार्ड आप परिवार के मुखिया हैं।"
इस पर सीजेआई एसए बोबडे जवाब दिया,
"ठीक है, तो अच्छे बच्चे बनो और याचिका वापस लो।"
इस पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ता संघ ने याचिका वापस ले ली और पीठ ने संबंधित याचिका में हस्तक्षेप दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान की।
सुनवाई की आखिरी तारीख पर कोर्ट ने एसोसिएशन के वकील से पूछा था कि एसोसिएशन कितनी पुरानी है और उसके क्रेडेंशियल्स क्या है?
याचिका में कहा गया है कि एसोसिएशन में देश भर के कानूनी प्रैक्टिशनर शामिल हैं जो महामारी की स्थिति के प्रकाश में वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।