किसानों पर आपत्तिजनक ट्वीट मामले में कंगना रनौत को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत रद्द करने से किया इनकार

Update: 2025-09-12 07:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत द्वारा 2021 के किसान आंदोलन में शामिल महिला के बारे में उनके ट्वीट के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत को रद्द करने की याचिका पर विचार करने से इनकार किया।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई जस्टिस मेहता ने याचिकाकर्ता की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई।

जस्टिस मेहता ने कहा,

"आपकी टिप्पणियों के बारे में क्या? यह कोई साधारण री-ट्वीट नहीं था। आपने अपनी टिप्पणियां जोड़ी हैं। आपने तड़का लगा दिया।"

वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने अपनी टिप्पणियों पर स्पष्टीकरण दिया।

जस्टिस मेहता ने जवाब दिया कि निचली अदालत में स्पष्टीकरण दिया जा सकता है।

वकील ने कहा,

"स्थिति ऐसी है कि मैं पंजाब में यात्रा नहीं कर सकती।"

खंडपीठ ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट मांग सकती हैं।

वकील ने आगे बहस करने की कोशिश की तो खंडपीठ ने चेतावनी दी कि वह प्रतिकूल टिप्पणियां करने के लिए बाध्य हो सकती है, जिससे मुकदमे में उनके बचाव को नुकसान पहुंच सकता है।

जस्टिस मेहता ने कहा,

"हमें ट्वीट में लिखी बातों पर टिप्पणी करने के लिए न कहें। इससे आपके मुकदमे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आपके पास एक वैध बचाव हो सकता है।"

खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने का सुझाव दिया। तदनुसार, याचिका वापस ली गई मानते हुए खारिज कर दी गई।

कथित तौर पर कंगना ने ट्विटर पर एक बुजुर्ग महिला प्रदर्शनकारी महिंदर कौर (प्रतिवादी) के बारे में अपनी टिप्पणी के साथ एक पोस्ट को रीट्वीट किया था, जिसमें कहा गया था, "वह वही दादी हैं, जिन्हें टाइम पत्रिका में सबसे शक्तिशाली भारतीय के रूप में चित्रित किया गया... और वह 100 रुपये में उपलब्ध हैं।"

इस ट्वीट में महिंदर कौर को शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में शामिल बिलकिस दादी से गलत तरीके से जोड़ा गया। यह संकेत दिया गया कि उनके जैसे प्रदर्शनकारी किराए पर उपलब्ध हैं।

जांच के बाद मजिस्ट्रेट प्रथम दृष्टया संतुष्ट थे कि रीट्वीट रनौत द्वारा किया गया। शिकायत में आरोपित तथ्य भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 के तहत अपराध का गठन करेंगे।

शुरुआत में रनौत ने मामले में समन आदेश रद्द करने के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, उनकी याचिका खारिज कर दी गई। अदालत ने कंगना की इस दलील को खारिज कर दिया कि रीट्वीट सद्भावनापूर्वक किया गया था और मेन्स रीया (दुर्भावनापूर्ण भावना) के अभाव में वह IPC की धारा 499 के 9वें और 10वें अपवाद का लाभ पाने की हकदार हैं। मजिस्ट्रेट द्वारा इस मुद्दे की जांच न करने के कारण यह आदेश अस्थिर हो गया।

आगे कहा गया,

"ऊपर उद्धृत 9वें अपवाद का अवलोकन करने से पता चलता है कि इसका उद्देश्य मानहानि के अपराध से उस आरोप को बाहर करना है, जो किसी व्यक्ति द्वारा अपने या किसी अन्य के हितों की रक्षा के लिए, या जनहित के लिए सद्भावनापूर्वक किया गया हो।"

इसके अलावा, न्यायालय ने बताया कि 10वां अपवाद मानहानि से उस टिप्पणी को बाहर करता है, जो सद्भावनापूर्वक की गई हो और जिसका उद्देश्य उस व्यक्ति की भलाई के लिए हो, जिसे वह दी गई हो या किसी अन्य व्यक्ति की भलाई के लिए हो जिसमें वह व्यक्ति रुचि रखता हो, या जनहित के लिए हो।

इस तर्क को खारिज करते हुए कि मजिस्ट्रेट को अनिवार्य रूप से इस बात पर विचार करना आवश्यक है कि क्या ये अपवाद उनके मामले में लागू होते हैं, अदालत ने कहा,

"स्थापित कानून के अनुसार, मजिस्ट्रेट पर कोई स्पष्ट प्रतिबंध नहीं है, जो उन्हें यह विचार करने से रोकता हो कि क्या कोई अपवाद समन किए जाने वाले व्यक्ति की सुरक्षा करता है। हालांकि, इस तरह का गैर-विचार अपने आप में आदेश जारी करने की प्रक्रिया को अवैध नहीं बना देगा।"

अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि प्रतिवादी-शिकायतकर्ता ने केवल कंगना के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, न कि उस व्यक्ति के खिलाफ जिसका मूल ट्वीट था, इसलिए यह अपने आप में यह दावा करने का आधार नहीं हो सकता कि शिकायत दुर्भावनापूर्ण थी।

यह भी कहा गया कि ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (TCIPL) द्वारा इस बारे में रिपोर्ट प्राप्त न होना कि क्या कथित रीट्वीट कंगना द्वारा किया गया, CrPC की धारा 202 के तहत मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र को छीनने का आधार नहीं हो सकता।

अदालत ने कहा,

"रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जा सकी, क्योंकि कंपनी न तो www.twitter.com की मालिक थी और न ही उसके नियंत्रण में है। वह एक अलग यूनिट है, जो केवल अनुसंधान, विकास और विपणन में लगी हुई है।"

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