गुजरातः पूर्व एएसजी और सीनियर एडवोकेट आईएच सैयद के ‌ख़िलाफ़ एफआईआर रद्द; सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हलफ़नामे में शिकायतकर्ता ने माना कि आरोप ग़लत धाराणाओं पर आधारित

Update: 2023-08-10 07:46 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एक साल से अधिक चली कानूनी लड़ाई के बाद हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट में नामित सीनियर एडवोकेट और पूर्व सहायक सॉलिसिटर-जनरल इकबाल हसन अली सैयद के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द कर दी। अहमदाबाद स्थित व्यवसायी विरल शाह की शिकायत पर सैयद पर पांच अन्य लोगों के साथ, चोट पहुंचाने, आपराधिक धमकी, जबरन वसूली, गलत तरीके से कैद करने आदि के आरोप लगाए गए थे।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत सैयद की ओर से एफआईआर रद्द करने के लिए दायर याचिका को ख़ारिज करने के गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय के ‌ख़िलाफ़ अपील को अनुमति दे दी।

कोर्ट ने नोट किया कि शिकायतकर्ता ने एक हलफ़नामे में स्वीकार किया था कि उन्होंने एक 'ग़लत धारणा' के कारण सैयद पर आरोप लगाया था और इस बात का एहसास होने पर उन्होंने सैयद के ख़िलाफ़ मुकदमा चलाने के लिए अपनी अनिच्छा का संकेत दिया।

कोर्ट ने आदेश में कहा,

“हलफ़नामे को देखने से यह पता चलता है ‌कि शिकायतकर्ता ने अपीलकर्ता का नाम लिया था और ग़लत धारणा के आधार पर संलिप्तता का आरोप लगाया था। इसलिए, उसका एहसास होने पर उन्होंने संकेत दिया कि वह अपीलकर्ता के खिलाफ मुक़दमा नहीं चलाना चाहते हैं। इसलिए, हमारी राय है कि वर्तमान तथ्यों और परिस्थितियों में अपीलकर्ता के ख़िलाफ़ एफआईआर उचित नहीं होगी और आगे की सभी कार्रवाई अनावश्यक होगी। इसलिए जो प्रार्थना की गई है, वह स्वीकार की जानी चाहिए। तदनुसार, यहां दिए गए आदेश को रद्द किया जाता है।”

पृष्ठभूमि

व्यवसायी वीरन मुकुंदभाई शाह की शिकायत पर गांधीनगर के पेठापुर पुलिस स्टेशन में आईएच सैयद को पांच अन्य लोगों के ख़िलाफ़ एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला के आवास पर उन्हीं के निजी सहायक ने एक व्यावसायिक विवाद संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उन्हें बुलाया था।

शाह की शिकायत के अनुसार, वाघेला के आवास पर उन्हें न केवल धमकाया गया बल्कि उन पर हमला भी किया गया और उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें पकड़कर रखा गया। किसी प्रकार वह वहां से अपनी कार से भागने में कामयाब रहे।

15 मई 2022 को छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 387, 389, 120 बी, 143, 147, 149, 323, 504, 506 (2), और 342 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। अगले महीने, गांधीनगर सत्र अदालत ने सैयद को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

अगले चरण में गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस समीर दवे की एकल-न्यायाधीश पीठ ने एफआईआर को रद्द करने की उनकी याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत आरोप पत्र दायर करने से पहले ऐसी याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

हालांकि, पूर्व एएसजी पिछले साल जून में हाईकोर्ट की एक अन्य एकल-न्यायाधीश पीठ ने अग्रिम जमानत दे दी थी। जस्टिस निखिल एस कारियल ने अन्य बातों के साथ-साथ कहा था कि एफआईआर में सीनियर वकील के ख़िलाफ़ कोई विशेष आरोप नहीं लगाया गया है।

एक दिलचस्प घटनाक्रम में, पुलिस ने गुजरात हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील अनीक कादरी को भी सैयद की क‌‌थ‌ित अवैध सहायता के आरोप में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत नोटिस दिया था। कादरी ने एफआईआर रद्द कराने और अग्रिम जमानत आवेदनों में सैयद के वकील थे। उन्होंने नोटिस को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी है।

केस डिटेलः इकबाल हसनअली सैयद बनाम गुजरात राज्य और अन्य | विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 9651/2023

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 620

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News