संभल मस्जिद के खिलाफ मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट का सोमवार तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 अगस्त) को उत्तर प्रदेश की संभल मस्जिद के खिलाफ हिंदू वादियों द्वारा दायर मुकदमे पर सोमवार (25 अगस्त) तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया।
जस्टिस पमिदिघंतम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 मई, 2025 के आदेश के खिलाफ संभल मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संभल स्थित शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमा उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत प्रतिबंधित नहीं है।
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि चुनौती हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को लेकर है कि मुकदमा उपासना स्थल अधिनियम के तहत प्रतिबंधित नहीं है।
इस पर जस्टिस नरसिम्हा ने पूछा कि क्या इस मामले को उपासना स्थल अधिनियम से संबंधित याचिकाओं के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
प्रतिवादियों की ओर से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मामले में पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित मुद्दा ही नहीं उठा। उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि संभल मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है, इसलिए यह अधिनियम के दायरे से बाहर है। उन्होंने कहा कि वादी केवल स्मारक तक पहुंच की मांग कर रहे हैं।
जैन ने आगे दलील दी कि न्यायालय की एक अन्य पीठ ने आज (शुक्रवार) एक आदेश पारित किया कि ASI द्वारा संरक्षित एक स्मारक पूजा स्थल अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता। इसके बाद पीठ ने जैन से सोमवार को उक्त आदेश प्रस्तुत करने को कहा।
जस्टिस नरसिम्हा ने मामले की सुनवाई सोमवार तक स्थगित करते हुए कहा,
"हम उस आदेश को देखेंगे। हम असंगत आदेश पारित नहीं करना चाहते।"
इसके साथ ही उस वक्त तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया।
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के 19 नवंबर, 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद समिति की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें मस्जिद परिसर की स्थानीय जांच के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया गया था। पिछले साल नवंबर में कमिश्नर के मस्जिद दौरे के कारण इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2024 में निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी, जब तक कि हाईकोर्ट मस्जिद समिति की चुनौती पर फैसला नहीं सुना देता।
Case Title – Committee of Management, Jami Masjid Sambhal, Ahmed Marg Kot Sambhal v. Hari Shankar Jain