सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल के 500 मीटर के दायरे में आने वाली सभी व्यावसायिक गतिविधियां को तुरंत रोकने का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आगरा विकास प्राधिकरण को ताजमहल की परिधि की दीवार से 500 मीटर के दायरे में आने वाली सभी व्यावसायिक गतिविधियों को तुरंत रोकने का निर्देश जारी किया।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की पीठ ने प्रतिष्ठित ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा के लिए निम्नलिखित निर्देश जारी किए,
"हम आगरा विकास प्राधिकरण को ताजमहल की दीवार से 500 मीटर के दायरे में आने वाली सभी व्यावसायिक गतिविधियों को रोकने का आदेश देते हैं जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुरूप होगा।"
यह निर्देश दुकान मालिकों के एक समूह द्वारा दायर एक आवेदन पर आया है, जिन्हें अपना व्यवसाय चलाने के लिए 500 मीटर के दायरे से बाहर क्षेत्र आवंटित किया गया था।
उन्होंने आवेदन के माध्यम से अदालत को अवगत कराया कि ताजमहल के पास अवैध व्यावसायिक गतिविधियां की जा रही हैं जो कि न्यायालय द्वारा जारी किए गए पिछले आदेशों का घोर उल्लंघन है।
आवेदकों की ओर से पेश वकील एम सी ढींगरा ने अदालत से इस तरह के सभी कार्यों को रोकने के आदेश जारी करने और अधिकारियों से आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा।
इस मामले में एमिकस क्यूरी, सीनियर एडवोकेट ए डी एन राव ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया कि यूनेस्को विरासत स्थल के आसपास होने वाली सभी व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी करना स्मारक के हित में होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में वर्ष 1984 में पर्यावरणविद् वकील एम सी मेहता द्वारा दायर जनहित याचिका में विभिन्न आदेश पारित किए, ताकि क्षेत्र में हो रहे विकास और 1631 में अपनी पत्नी मुमताज की याद में मुगल सम्राट शाह जहां द्वारा निर्मित भव्य मकबरे के संरक्षण के बीच संतुलन बनाया जा सके।
केस टाइटल : एम सी मेहता बनाम भारत सरकार - डब्ल्यूपी (सी) संख्या 13381/1984