सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त जजों के भत्तों पर निर्देशों का पालन न करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा हिरासत में लिए गए यूपी सरकार के सचिवों की रिहाई का आदेश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें सेवानिवृत्त जजों को घरेलू मदद और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देशों का पालन नहीं करने पर उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष सचिव (वित्त) और सचिव (वित्त) को हिरासत में लिया गया था। कोर्ट ने हिरासत में लिए गए अधिकारियों को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज द्वारा यूपी सरकार की ओर से तत्काल उल्लेख के बाद आदेश पारित किया, जिन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को "बहुत अजीब" करार दिया।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने अवमानना मामले में यूपी सरकार के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव (वित्त) को हाईकोर्ट द्वारा जारी जमानती वारंट पर भी रोक लगा दी।
एएसजी ने खंडपीठ से कहा,
"न्यायालय ने सेवानिवृत्त जजों के लिए कुछ सुविधाओं के संबंध में नियम बनाने का निर्देश दिया। नियमों को राज्यपाल के पास जाना है। कुछ तकनीकी आपत्ति हैं। इस बीच अदालत ने वित्त सचिवों को तलब किया और उन्हें हिरासत में लेने का निर्देश दिया और मुख्य सचिव को भी कहा कि वह उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी करते हुए उपस्थित रहें।"
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश लिखवाते हुए कहा,
"बोर्ड पर लिया गया। लिस्टिंग की अगली तारीख तक इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के दिनांक 04 अप्रैल 2023 और 19 अप्रैल 2023 के आदेशों पर रोक रहेगी। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी जिन्हें हिरासत में लिए गए लोगों को तुरंत रिहा कर दिया जाएगा। इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल इस आदेश को टेलीफोन और ईमेल के माध्यम से इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को तत्काल अनुपालन के लिए सूचित करेंगे।"
यह मामला अब अगले शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।
हाईकोर्ट का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त सुप्रीम और हाईकोर्ट के जजों के संघ द्वारा दायर अवमानना याचिका में अधिकारियों को हिरासत में ले लिया था। यह देखते हुए कि अधिकारी निर्देशों की अवमानना कर रहे थे, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बुधवार को अदालत में मौजूद अधिकारियों को हिरासत में ले लिया और आरोप तय करने के लिए उन्हें आज पेश करने को कहा।
जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस राजेंद्र कुमार-चतुर्थ की खंडपीठ ने 20 अप्रैल 2023 को न्यायालय के समक्ष उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से यूपी सरकार के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया।
खंडपीठ द्वारा इस आधार पर आदेश पारित किया गया कि अधिकारियों को पूर्व चीफ जस्टिस और इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों को किसी न किसी बहाने से घरेलू सहायता प्रदान करने जैसी सुविधाओं में देरी करने में शामिल पाया गया।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
"वित्त विभाग के अधिकारियों का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि हाईकोर्ट द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव का अनुपालन नहीं किया जाएगा और अपने अति उत्साही दृष्टिकोण और अड़ियल रवैये के कारण बिना किसी वैध आधार के रिट अदालत के आदेश के अनुपालन का विरोध कर रहे हैं।"
इससे पहले, 4 अप्रैल को एचसी ने राज्य सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और पूर्व जजों को घरेलू मदद प्रदान करने के प्रावधान सहित कुछ लाभ प्रदान करने के लिए चीफ जस्टिस द्वारा अनुमोदित नियमों/दिशानिर्देशों को निष्पादित/अधिसूचित करने का निर्देश दिया।
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