ललित मोदी ट्रस्ट विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, मोदी को हाईकोर्ट जाने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने ललित मोदी का राहत ना देते हुए पारिवारिक ट्रस्ट विवाद पर सिंगापुर में चल रही मध्यस्थता पर रोक लगाने के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से इनकार कर दिया।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस सूर्यकांत की वेकेशन बेंच ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ही इस याचिका पर विचार करेगा। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय पहले से ही इस मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है और केवल अंतरिम आदेश पारित किया गया है।
मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को तय की गई है। पीठ ने कहा, " अगर हम इस मामले में दखल देते हैं तो ऐसा लगेगा कि हम हाईकोर्ट की शक्तियां छीन रहे हैं। यह केवल अंतरिम आदेश है।"
पीठ ने कहा कि ललित मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वो हाईकोर्ट में जाकर जल्द सुनवाई का आग्रह कर सकते हैं और हाईकोर्ट इस पर विचार करेगा।
दरअसल 5 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने पारिवारिक संपत्ति विवाद में सिंगापुर में मध्यस्थता कार्रवाई शुरू करने के ललित मोदी के कदम को चुनौती देने वाली दिवंगत उद्योगपति के के मोदी की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यस्थता पर रोक लगा दी थी।
डिवीजन बेंच ने तीन मार्च के हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश उस आदेश को पलट दिया था जिसमें उच्च न्यायालय ने कहा था कि ललित मोदी की मां बीना मोदी,बहन चारू और भाई समीर की ओर से दाखिल मध्यस्थता कार्रवाई के खिलाफ वाद उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और वे इस प्रकार की याचिका सिंगापुर में मध्यस्थता न्यायाधिकरण ले जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने कहा था कि यचिकाएं विचार योग्य नहीं हैं और खारिज की जाती हैं। बीना ,चारू और समीर ने दो अलग अलग याचिकाओं में कहा था कि पारिवारिक सदस्यों के बीच ट्रस्ट दस्तावेज हैं और के के मोदी पारिवारिक ट्रस्ट के मामलों को किसी अन्य देश में भारतीय कानून के मुताबिक मध्यस्थता के जरिए नहीं हल किया जा सकता। उन्होंने ललित मोदी को मुकदमा चलाने या आपात उपायों और उनके खिलाफ मध्यस्थता की कार्यवाही जारी रखने से स्थायी रोक लगाने की मांग की थी।
मामले के अनुसार के के मोदी ने सेटलर/प्रबंधक ट्रस्ट के तौर पर लंदन में दस्तावेज तैयार कराए थे और बीना, ललित, चारू तथा समीर इसके सदस्य थे। के के मोदी का पिछले साल दो नवंबर को निधन हो गया था जिसके बाद न्यासियों के बीच विवाद शुरू हो गया।बीना, चारू और समीर मोदी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि ललित मोदी भगोड़ा है और कई भारतीय कानूनों के घोर उल्लंघन का भी आरोपी है जिसमें आईपीसी के तहत आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश शामिल हैं और धन शोधन निरोधक कानून के तहत मामला लंबित है।