सुप्रीम कोर्ट ने दलितों के बहिष्कार के मामले में याचिका खारिज की, कहा- हाईकोर्ट जाए
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के एक गांव में दलितों के कथित सामाजिक बहिष्कार और भेदभाव से संबंधित याचिका खारिज की। अदालत ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वह इस मामले में हाईकोर्ट या अन्य वैधानिक उपायों का सहारा लें।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह आदेश सुनाया।
यह याचिका दासरी चेन्ना केसवलु ने स्वयं दायर की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश के पिथापुरम विधानसभा क्षेत्र (जो उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण का निर्वाचन क्षेत्र है) के एक गांव में दलितों को भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अब तक न तो FIR दर्ज की गई और न ही उस दलित परिवार को मुआवज़ा दिया गया, जिसके एक सदस्य की मौत हुई थी।
याचिकाकर्ता ने न्याय की गुहार लगाते हुए संबंधित अधिकारियों और पवन कल्याण के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इसे यहां स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट, पुलिस अधीक्षक या अन्य उपयुक्त मंच का सहारा लें।
बताया जाता है कि अप्रैल में एक इलेक्ट्रीशियन की दुर्घटनावश मौत हो गई। मृतक दलित समुदाय से था और वह कपु जाति से संबंधित एक व्यक्ति के घर पर काम कर रहा था। समझौते के तहत तय मुआवज़ा न मिलने पर दलित समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद कथित रूप से पूरे समुदाय का गांव में सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया।
केस टाइटल: Dasari Chenna Kesavulu बनाम State of Andhra Pradesh & Ors., W.P.(Crl.) No. 265/2025