लखीमपुर खीरी मामला: UP Police ने गवाह को डराने के आरोप में FIR दर्ज की, सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को दिवाली के लिए घर जाने की इजाजत दी

Update: 2025-10-09 08:03 GMT

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा आरोपी हैं, सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया गया कि एक गवाह ने पुष्टि की है कि उसे गवाही न देने की धमकी दी गई और वह कानूनी कार्रवाई चाहता है।

राज्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि गवाह का बयान दर्ज कर लिया गया और IPC की धारा 195ए, 506 और 120बी के तहत एक FIR दर्ज की गई।

उन्होंने कहा,

"हमने उप सचिव को नियुक्त किया, जिसने गवाह का बयान दर्ज किया और उसने पुष्टि की कि उस पर किसी तरह का दबाव था।"

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि चूंकि प्रारंभिक जाँच DSP रैंक के अधिकारी द्वारा की गई, इसलिए FIR की जाँच भी उसी अधिकारी और/या उसी रैंक के अधिकारी द्वारा कराना उचित होगा।

कोर्ट ने रिकॉर्ड किया,

"पुलिस ने एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की, जिसके अनुसार शिकायत की जाँच के लिए [डीएसपी] रैंक के अधिकारी को नियुक्त किया गया। शिकायतकर्ता आसानी से उपलब्ध नहीं था। उसे विभिन्न स्थानों, खासकर पंजाब में खोजने के प्रयास किए गए। अंततः डीएसपी 19 सितंबर को शिकायतकर्ता से संपर्क करने और उसका बयान दर्ज करने में सक्षम हुए। शिकायतकर्ता ने पुष्टि की है कि वह कानूनी कार्रवाई चाहता है। इसे देखते हुए पुलिस ने अब IPC की धारा 195ए, 506 और 120बी के तहत 4 अक्टूबर, 2025 को एक FIR दर्ज की। मामले की जाँच चल रही है। चल रही जाँच की स्थिति को रिकॉर्ड पर लाया जाए।"

रिपोर्टों के अनुसार गवाह को धमकी देने के लिए दर्ज की गई FIR में आशीष मिश्रा और उनके पिता (पूर्व केंद्रीय मंत्री) अजय मिश्रा टेनी को आरोपी के रूप में नामित किया गया।

आशीष मिश्रा के अनुरोध पर पीठ ने उन्हें दिवाली समारोह के लिए अपने गृहनगर लखीमपुर खीरी जाने की भी अनुमति दी। कोर्ट ने आदेश दिया कि 24 मार्च, 2025 के आदेश के पैरा 9 में लगाई गई शर्तों का पालन किया जाएगा, जिसके तहत मिश्रा को राम नवमी उत्सव के लिए भी लखीमपुर खीरी जाने की अनुमति दी गई।

खंडपीठ ने मिश्रा के इस वचन को भी रिकॉर्ड किया कि वह 22 अक्टूबर को वापस लौट आएंगे।

याद रहे कि पहले कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को गवाह को धमकी/लालच देने की शिकायत पर सत्यापन करने और आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

आशीष मिश्रा के सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे, राज्य के वकील और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने ट्रायल की स्थिति के बारे में पीठ को अवगत कराया।

यह बताया गया कि 23 अभियोजन गवाहों की जांच की गई, 9 को छोड़ दिया गया, 2 को समन नहीं मिला। बाकी को अगली तारीख (27 अक्टूबर) के लिए तलब किया गया।

राज्य के वकील ने कहा कि गवाहों की सूची को संशोधित किया गया और अब 208 के बजाय कुल 131 गवाहों की जाँच की जानी है।

हालाँकि प्रशांत भूषण ने ट्रायल में तेज़ी लाने और इसे सप्ताह में दो बार आयोजित करने का अनुरोध किया लेकिन पीठ ने ऐसा आदेश पारित करने के लिए मना कर दिया।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कभी-कभी ऐसे निर्देश के कारण कोई गरीब व्यक्ति पीड़ित हो सकता है और यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रायल की सीधी निगरानी के समान हो सकती है।

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