राजस्थान हाईकोर्ट के सेशन जज पर की गई टिप्पणियां स्थगित, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें स्पेशल जज (POCSO Court) के खिलाफ कठोर टिप्पणियां और प्रतिकूल अभिलेख दर्ज करने के निर्देश दिए गए।
जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ ने यह आदेश सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे की दलीलों को सुनने के बाद दिया। मामला विशेष अनुमति याचिका (SLP) के रूप में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था।
मामले की पृष्ठभूमि
नाबालिग बालिका ने बलात्कार का आरोप लगाया, जिसमें कहा गया कि घटना में उसके पिता ने भी सहयोग किया। बाद में यह तय हुआ कि आरोपी किशोर को वयस्क की तरह मुकदमे का सामना करना होगा। मामला POCSO अदालत में स्पेशल जज के समक्ष आया, जहां दोनों आरोपियों को दोषी ठहराते हुए एक ही दिन में निर्णय सुना दिया।
जब अपील राजस्थान हाईकोर्ट में पहुंची तो वहां सजा पर रोक लगाने से इंकार करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि ट्रायल जज ने कथित तौर पर कट, कॉपी और पेस्ट की पद्धति से फैसला लिखा है। हाईकोर्ट ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे निर्णय स्टेनोग्राफर या पी ए द्वारा तैयार किया गया हो और जज ने इसे बिना ध्यानपूर्वक पढ़े हस्ताक्षर कर दिए।
हाईकोर्ट ने इतना ही नहीं बल्कि संबंधित निर्णय की प्रतिलिपि राजस्थान न्यायिक अकादमी को प्रशिक्षण हेतु भेजने और इस आदेश की प्रति न्यायाधीश की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) 2024 में शामिल करने का भी निर्देश दिया था।
इन टिप्पणियों को चुनौती देते हुए SLP सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल की गई, जिसमें न्यायिक अधिकारी के खिलाफ की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने और आगे की किसी भी कार्रवाई को निरस्त करने की मांग की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने अब फिलहाल हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए न्यायिक अधिकारी को तत्काल राहत दी।
केस टाइटल: सोनिका पुरोहित बनाम राज्य राजस्थान