सुप्रीम कोर्ट ने मरीजों पर डॉक्टर और नर्स के अनुपात सुनिश्चित करने के लिए नई राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2022-09-26 11:35 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सभी एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स) अस्पतालों में रोगी पर डॉक्टर और नर्स के अनुपात सुनिश्चित करने के लिए नई राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

याचिका में भारतीय गुणवत्ता परिषद और अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड से अस्पतालों को मान्यता देने से पहले दस्तावेजों की जांच करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई है।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस पी नरसिम्हा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका मरीजों की भलाई से संबंधित है।

उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि उन्होंने इस मुद्दे से संबंधित कई अभ्यावेदन, आरटीआई दाखिल किए गए हैं।

पीठ ने पूछा,

"आपने पिछली बार कब अभ्यावेदन दायर किया था?"

उन्होंने जवाब दिया,

"28, 2021 को।"

बेंच ने कहा,

"ये नीतिगत मामले हैं।"

"हम कैसे कह सकते हैं कि इतने सारे मरीजों के लिए इतनी नर्सें नियुक्त करें। कुछ वादी कहेंगे, इतने जजों के लिए इतने जज होने चाहिए।"

अंतत: पीठ ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया।

याचिका में कहा गया कि याचिका दायर करने का आधार याचिकाकर्ता संगठन द्वारा दायर आरटीआई आवेदनों के प्रतिवादियों से जवाब लेना है।

याचिका में प्रस्तुत किया गया कि भारतीय गुणवत्ता परिषद ने कहा कि उनके पास कोई मानदंड नहीं है जो डॉक्टर और नर्स के एक रोगी पर अनुपात को निर्दिष्ट करता हो। साथ ही सुरक्षा और रोगी की संतुष्टि के लिए नर्सिंग देखभाल, रोगी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए कोई अध्ययन या सर्वेक्षण नहीं किया गया।

याचिका में कहा गया कि रोगी की देखभाल, सुरक्षा और संतुष्टि की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक समिति गठित करने की आवश्यकता है। इसमें रोगी से डॉक्टर और नर्स के अनुपात का आकलन करना भी शामिल हो।

याचिका में कहा गया,

"यहां यह उल्लेख करना उचित है कि याचिकाकर्ता उन दस्तावेजों को इकट्ठा करने में सक्षम नहीं है जो यह प्रकट करते हैं कि प्रतिवादी नंबर एक और नंबर दो द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पतालों द्वारा सर्वोत्तम रोगी-नर्स अनुपात का पालन नहीं किया जाता है। कहा जाता है कि वे आंतरिक दस्तावेज हैं। इस तरह उक्त दस्तावेज नर्सों की नौकरी को खतरे में डाल देंगे।"

याचिका इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन द्वारा दायर की गई। याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड धीरज फिलिप अब्राहम के माध्यम से दायर की गई। याचिका एडवोकेट रॉबिन राजू, दीपा जोसेफ और ब्लेसन मैथ्यूज द्वारा तैयार की गई।

मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।

केस टाइटल: इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन बनाम क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया एंड ओआरएस | डब्ल्यू.पी.(सी) संख्या 15/2022 जनहित याचिका-डब्ल्यू


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