सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भारत में समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।
याचिका चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच के समक्ष लिस्ट की गई थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि मामला विवाह में समानता से संबंधित है। कई याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं और दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया गया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,
"हम नोटिस जारी कर रहे हैं।"
पहली याचिका (कविता अरोड़ा बनाम भारत संघ) में यह कहा गया है कि स्पेशल मैरिट एक्ट, 1954 असंवैधानिक है क्योंकि यह एक ही जेंडर के जोड़े के बीच विवाह का प्रावधान नहीं करता है।
याचिका में यह निर्देश देने की मागं की गई है कि स्पेशल मैरिज एक्ट सभी जोड़ों पर उनकी जेंडर पहचान और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना लागू होगा।
दूसरी याचिका (निबेदिता दत्ता बनाम भारत संघ) ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की समावेशी और व्यापक रूप से व्याख्या करने वाले परमादेश की रिट के लिए प्रार्थना की है ताकि किन्हीं भी दो हिंदुओं पर लागू हो सके, जो एक जेंडर के बावजूद शादी करना चाहते हैं।
सुप्रियो @ सुप्रिया चक्रवर्ती और अन्य बनाम भारत सरकार में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कानून के समान रूप से समान प्रश्न पहले उठे थे जिसमें अदालत ने 24 नवंबर को प्रतिवादी-सरकार को नोटिस जारी किया था।
सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण है कि कई लोग कार्यवाही देखना चाहते है और कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग की।
इस पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,
"जब मामला हमारे पास आएगा, तो बस उस दिन हमें बताएं और हम निश्चित रूप से अनुरोध पर विचार करेंगे।"
केस टाइटल: कविता अरोड़ा एंड अन्य बनाम भारत संघ टी.पी.(सी) सं.-002842/2022; निबेदिता दत्ता बनाम भारत संघ नं. टी.पी.(सी) सं.-002844/2022