सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाला मामले में जमानत मांगने वाले अभिनेता मोहम्मद नसीर की याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2022-06-13 11:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिव्यांग अभिनेता मोहम्मद नसीर द्वारा दायर एक रिट याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें चिटफंड स्कीम के नाम पर कथित रूप से धोखाधड़ी और पैसे की हेराफेरी के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में जमानत की मांग की गई थी।

जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की अवकाश पीठ ने अपने आदेश में कहा,

" जारी नोटिस पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दें। "

अभिनेता नसीर मेसर्स फाइन सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक भी रहे। अभिनेता पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 406, 420, 468, 471 और 34 के तहत और इनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबन्दी) अधिनियम, 1978 ( Prize Chits and Money Circulation Schemes (Banning) Act, 1978 ) की धारा 4,5 और 6 के तहत दर्ज शिकायत में जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

नसीर को 20 जुलाई 2009 को गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसी दिन जमानत दे दी गई थी। उड़ीसा हाईकोर्ट द्वारा 12 दिसंबर 2012 को जांच सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई। आरोप पत्र दाखिल करने के बाद, उन्हें 2019 में हिरासत में लिया गया और तब से वह जेल में हैं।

यह प्रस्तुत किया गया कि आरोप पत्र दाखिल करने के तीन साल बाद उन्हें बिना किसी विशिष्ट आरोप के गिरफ्तार किया गया जो कि सिद्धार्थ बनाम यूपी राज्य और अन्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के खिलाफ है।

दलील में यह तर्क दिया गया है कि जिन अपराधों के लिए अभिनेता पर आरोप लगाया गया है, उसके लिए अधिकतम सात साल की कैद की अवधि है और वह तीन साल से अधिक समय से हिरासत में है।

याचिका में यह तर्क देते हुए कि जांच पूरी हो गई है, कहा गया है कि जमानत आवेदन का निर्णय न करना और दोषसिद्धि की कुल अवधि (दोषी के मामले में) से परे लंबी अवधि तक कारावास में रखना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ है।

जमानत की मांग करते हुए याचिका में यह भी कहा गया कि चूंकि नसीर जन्म से स्थायी अंधेपन से पीड़ित है, इसलिए उसके लिए अपने आप आगे बढ़ना बहुत मुश्किल है।

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया है कि उड़ीसा हाईकोर्ट ने 12 जून, 2020 को जमानत मांगने वाली नसीर की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया था, लेकिन तब से फैसला सुनाया जाना बाकी है।

याचिका में कहा गया है, " फैसला करीब दो साल के लिए सुरक्षित है और इसे फैसले या आदेशों के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है।"

याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट स्वर्णेंदु चटर्जी, हिमांशु नेलवाल, आदित्य सिद्धरा और यशवर्धन सिंह की सहायता से सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ भटनागर पेश हुए।

केस टाइटल : मोहम्मद नसीर बनाम सीबीआई

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