पहली पीठ के अंतरिम आदेश पर 'अपीलनुमा हस्तक्षेप' करना अनुचित: सुप्रीम कोर्ट

Update: 2025-12-26 12:41 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की कि किसी मामले में हाईकोर्ट की बाद में बैठी पीठ द्वारा पहले से पारित अंतरिम आदेश पर “अपील की तरह” पुनर्विचार करना उचित नहीं है। साथ ही, अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट को बिना कारण बताए blanket प्रकार के 'नो-कोर्सिव स्टेप्स' (बलपूर्वक कार्रवाई न करने) के आदेश पारित नहीं करने चाहिए।

पुरा मामला:

इस मामले में याचिकाकर्ता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका में जांच पर अंतरिम स्थगन की मांग की थी। पहले वाली पीठ ने राहत देने से इंकार करते हुए एक विस्तृत अंतरिम आदेश पारित किया—जिसमें याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करने और आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया। साथ ही यह भी कहा गया कि इस अवधि में कोई कठोर/दबावपूर्ण कार्रवाई नहीं की जाएगी, और यदि कोई आपत्तिजनक सामग्री मिलती है तो गिरफ्तारी के बजाय धारा 41A CrPC के तहत नोटिस जारी किया जाएगा।

बाद में रोस्टर परिवर्तन के कारण मामला दूसरी पीठ के पास गया, जिसने 24 नवंबर को अंतरिम राहत देते हुए जांच पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की पीठ ने कहा कि इस आदेश में यह नहीं बताया गया कि जांच क्यों रोकी गई, जबकि इसका कारण दर्ज किया जाना अपेक्षित था।

अदालत ने Niharika Infrastructure Pvt. Ltd. बनाम State of Maharashtra (2021) का संदर्भ देते हुए कहा कि हाईकोर्ट को बिना ठोस कारण बताए blanket stay / no-coercive orders पारित करने से बचना चाहिए। उस निर्णय में भी सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे संक्षिप्त, अस्पष्ट और बिना कारण वाले आदेशों पर आपत्ति जताई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बाद की पीठ को यह देखना चाहिए था कि पहले की पीठ ने पहले ही संकेत दिया था कि मामले की सुनवाई प्रवेश (admission) चरण पर ही की जानी है। कोर्ट ने टिप्पणी की:

“हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश अपेक्षित मानकों से कमतर है… पहले की पीठ ने विस्तृत अंतरिम आदेश दिया था और यह भी कहा था कि याचिकाओं की सुनवाई प्रवेश-चरण पर ही की जाए। ऐसे में बाद की पीठ द्वारा उस आदेश पर 'अपीलनुमा' तरीके से हस्तक्षेप करना उचित नहीं था।”

उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता इस मुद्दे को पुनः खोलने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन दायर करे।

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