अनुकंपा नियुक्ति के खिलाफ बेतुकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने BSNL पर लगाया ₹1 लाख का जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे व्यक्ति को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के खिलाफ बेतुकी याचिका दायर करने पर BSNL पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया, जिसके माता-पिता की सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने मृतक कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों को अनुकंपा नियुक्ति देने संबंधी सुस्थापित कानून के बावजूद ऐसी याचिकाएं दायर किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया। हालांकि, न्यायालय ने BSNL को उस अधिकारी से जुर्माना वसूलने की छूट दी, जिसने सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिका दायर करने की सलाह दी थी।
BSNL ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें कैट के उस आदेश की पुष्टि की गई। इसमें प्रतिवादी को ग्रुप-डी श्रेणी की नौकरी में अनुकंपा नियुक्ति दी गई, जिसके माता-पिता की सेवा के दौरान मृत्यु हो गई।
न्यायालय ने विवादित निष्कर्षों में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि BSNL जैसी सरकारी संस्था से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह सेवाकाल के दौरान मृत कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारी को अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के विरुद्ध याचिका दायर करे।
प्रतिवादी को प्रारंभ में 74 अंक प्राप्त हुए थे। मंडलीय मूल्यांकन समिति द्वारा उसे नियुक्ति के लिए उपयुक्त पाया गया। हालांकि, मंडलीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) ने उसे 54 अंक दिए, जो 55 अंकों के मानक से कम है। इसलिए अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने का उसका मामला खारिज कर दिया गया।
अंकों में कमी का एक मुख्य कारण यह था कि प्रतिवादी किराए के मकान में नहीं रह रहा था, जिससे उसे आवास मद में 10 अंक मिलने का अधिकार प्राप्त हो। प्रतिवादी झुग्गी बस्ती में रह रहा था, जिससे वह 10 अंक पाने के लिए अयोग्य हो गया।
CAT ने आवास मद में 10 अंक आवंटित न करने के HPC के निर्णय को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रतिवादी अस्थायी झुग्गी में रह रहा था और HPC द्वारा अंक काटना अनुचित था।
CAT के निष्कर्षों की पुष्टि करने के हाईकोर्ट के निर्णय को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी अनुमोदित कर दिया।
तदनुसार, अपील खारिज कर दी गई।
Cause Title: BHARAT SANCHAR NIGAM LTD. (A GOVERNMENT OF INDIA ENTERPRISES) & ORS. VERSUS PAVAN THAKUR