सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में युवा कांग्रेस प्रमुख बीवी श्रीनिवास को अंतरिम अग्रिम जमानत दी

Update: 2023-05-17 06:30 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास को पार्टी से निष्कासित सदस्य की यौन उत्पीड़न की शिकायत पर असम में दर्ज FIR के संबंध में अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा कि कथित घटना 24-26 फरवरी 2023 के दौरान रायपुर में हुई थी और शिकायत अप्रैल 2023 में असम में दर्ज की गई थी।

पीठ ने यह भी कहा कि शिकायत दर्ज कराने से पहले शिकायतकर्ता ने अपने ट्वीट्स और मीडिया को दिए इंटरव्यू में याचिकाकर्ता के खिलाफ यौन उत्पीड़न के "आरोपों का कानाफूसी" नहीं किया था।

आगे कहा,

"प्रथम दृष्टया, प्राथमिकी दर्ज करने में लगभग दो महीने की देरी को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता को अंतरिम सुरक्षा का अधिकार होगा। हम निर्देश देते हैं कि गिरफ्तारी की स्थिति में याचिकाकर्ता को 50,000 रुपए का सॉल्वंट शूरटी के रूप में अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।"

पीठ ने श्रीनिवास को 22 मई को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने और अधिकारी द्वारा निर्देश दिए जाने पर बाद की तारीखों में पेश होने को कहा है। उनसे जांच में सहयोग करने को कहा गया है। इस मामले पर अगली बार जुलाई 2023 में विचार किया जाएगा।

आदेश लिखे जाने के बाद, एएसजी राजू ने मैरिट के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करने का अनुरोध किया (जैसे कि प्रारंभिक बयानों में यौन उत्पीड़न के आरोपों की अनुपस्थिति) और कहा कि बिना कारण बताए अंतरिम सुरक्षा प्रदान की जाए। हालांकि, पीठ ने टिप्पणियों को हटाने से इनकार कर दिया, लेकिन स्पष्ट किया कि ये केवल अंतरिम राहत देने के उद्देश्य से की गई हैं।

कोर्ट में क्या-क्या दलीलें दी गईं?

श्रीनिवास की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट डॉ एएम सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता ने पार्टी में भेदभाव का सामना करने की शिकायत करते हुए कई ट्वीट किए थे। शिकायत दर्ज कराने से पहले उसने छह मीडिया साक्षात्कार भी दिए थे। उनके बयानों में यौन उत्पीड़न के आरोप नहीं थे। हालांकि आरोप फरवरी से संबंधित हैं, लेकिन वह अप्रैल तक चुप रहीं।

सिंघवी ने कहा कि वह एक वकील हैं और कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि उनके बयान असम के IYC प्रभारी के बारे में थे, जो एक अलग व्यक्ति हैं और उनके सार्वजनिक आरोप थे कि IYC असम प्रभारी उनके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं कर रहे थे। अगले दिन दर्ज की गई उसकी शिकायत में, धक्का-मुक्की, हाथ पकड़ने आदि के आरोप जोड़े गए और इन आरोपों को धारा 354IPC में शामिल किया गया, जो एकमात्र गैर-जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध है।

जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अपनी दलीलें शुरू कीं, तो पीठ ने उनसे पूछा कि क्या वह सीबीआई या ईडी के लिए पेश हो रहे हैं। राजू ने उत्तर दिया कि वह असम राज्य के लिए उपस्थित हो रहा है।

जस्टिस गवई ने पूछा,

"सीबीआई, ईडी अभी तक नहीं आए हैं?"

राजू ने कहा कि मामले को राजनीति से प्रेरित नहीं कहा जा सकता क्योंकि शिकायतकर्ता उसी पार्टी का सदस्य है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत जारी नोटिस को आगे बढ़ाने में पेश नहीं हुआ। उन्होंने राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा जारी नोटिस का भी जवाब नहीं दिया।

राजू ने कहा,

"हमने उन्हें दूसरा नोटिस दिया। वो कहते हैं कि वो अस्वस्थ हैं। हमेशा के लिए वो अस्वस्थ हैं! लगातार वो नोटिस की अवहेलना कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि महिला ने पार्टी से शिकायत की थी और पार्टी द्वारा कार्रवाई करने से इनकार करने के बाद ही वह सार्वजनिक रूप से सामने आई।

शिकायतकर्ता वकील के माध्यम से भी पीठ के समक्ष उपस्थित हुआ। पीठ ने उनके वकील से पूछा कि वह फरवरी से चुप क्यों रहीं। वकील ने जवाब दिया कि वह इस मुद्दे को पार्टी के भीतर उठा रही हैं।

पीठ ने उनसे पूछा,

"आप एक वकील हैं, आप नहीं जानते कि पार्टी आपराधिक कार्रवाई नहीं कर सकती है? क्या आप कानूनी अधिकारों से अवगत नहीं हैं?"

4 मई को गुवाहाटी हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने श्रीनिवास द्वारा अग्रिम जमानत की मांग वाली एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया था। जस्टिस अजीत बोरठाकुर की एकल पीठ ने कहा था कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि एफआईआर "राजनीति से प्रेरित" है और यह देखते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने श्रीनिवास के वकील को यह सुझाव देने के लिए भी फटकार लगाई कि सेवानिवृत्ति के दहलीज़ पर खड़े न्यायाधीश सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों की उम्मीद में सरकार के पक्ष में आदेश पारित करेंगे।

आरोप है कि आरोपी लगातार पीड़िता को अश्लील और अपशब्द बोलकर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था और यूथ कांग्रेस के उच्च पदाधिकारियों के सामने शिकायत करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दे रहा था। यह भी आरोप लगाया गया है कि फरवरी, 2023 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के एक सत्र में याचिकाकर्ता द्वारा कथित पीड़िता के साथ मारपीट और धमकी भी दी गई थी।

जस्टिस अजीत बोरठाकुर ने कहा था,

"प्राथमिकी में जिन अपराधों का खुलासा किया गया है, वे समाज के खिलाफ अपराध हैं, जो मूल रूप से महिला के शील भंग से संबंधित हैं।"

[केस टाइटल: बी.वी. श्रीनिवास बनाम असम राज्य एसएलपी(सी) संख्या 6210/2023]



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