सुप्रीम कोर्ट ने मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक अब्बास अंसारी को जमानत दी।
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने हालांकि, गुण-दोष के आधार पर कोई टिप्पणी नहीं की।
पिछली बार कोर्ट ने अंसारी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002 के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत देने से इनकार करने के आदेश के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया था।
9 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास को जमानत देने से इनकार करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस स्तर पर PMLA की धारा 45 के अनुसार प्रथम दृष्टया यह संतुष्टि नहीं कर सकता कि आवेदक दोषी नहीं है या जमानत पर कोई अपराध नहीं कर सकता।
इसके बाद 15 मई को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने अब्बास को 11 और 12 जून को अपने दिवंगत पिता गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी की याद में आयोजित एक निजी प्रार्थना सभा में शामिल होने की अनुमति दी।
असंबंधित मामले में अंसारी को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कथित अवैध जेल मुलाकातों के मामले में भी जमानत दी।
मामले की पृष्ठभूमि
प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामले के अनुसार, अंसारी ने मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दो फर्मों (मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन और मेसर्स आगाज) का इस्तेमाल किया। उस पर PMLA की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया और नवंबर 2022 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। ED का मामला है कि मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन नामक साझेदारी फर्म अंसारी द्वारा अनुसूचित अपराध करने और अपराध की आय उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मुख्य साधन था।
फर्म ने कथित तौर पर जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक अतिचार का सहारा लेकर मऊ और गाजीपुर जिलों में सरकारी जमीन हड़प ली। फर्म का इस्तेमाल सार्वजनिक ठेके हासिल करने के लिए किया जाता था। इसलिए जब भी तत्काल फर्म द्वारा बोली लगाई जाती थी तो ठेके हमेशा उक्त फर्म को ही मिलते थे। उक्त फर्म गोदाम बनाने के लिए सार्वजनिक बैंकों से ऋण लेती थी, जिसे बाद में भारतीय खाद्य निगम और उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम को किराए के रूप में दिया जाता था और उनसे प्राप्त किराया कई करोड़ रुपये होता था।
इसके अलावा, नाबार्ड से 67 लाख से अधिक की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। प्राप्त किराए से उत्पन्न राशि न केवल मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन के खाते में बल्कि दूसरी पारिवारिक फर्म मेसर्स आगाज में भी भेजी गई। उसके बाद लेयर बनाकर पैसे को नकद के रूप में निकाला गया और मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन के ऋण खाते में जमा किया गया, जिससे ऐसी दरों पर अचल संपत्तियां खरीदी जा सकें, जो बाजार मूल्य से काफी कम थीं।
इस पृष्ठभूमि के खिलाफ ED ने आरोप लगाया कि आवेदक के अकाउंट में और उससे कई उच्च-मूल्य के लेनदेन जमा और डेबिट किए गए, जिसका आवेदक स्पष्टीकरण नहीं दे सका। ED ने यह भी आरोप लगाया कि फर्म मेसर्स विकास कंस्ट्रक्शन में प्रमुख शेयरधारक अफशर अंसारी (आवेदक की मां) और श्री आतिफ रजा (मामा-मामाजी) हैं।
केस टाइटल: अब्बास अंसारी बनाम प्रवर्तन निदेशालय, इलाहाबाद, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 10598/2024