सुप्रीम कोर्ट ने 'कलर ब्लाइंडनेस' से पीड़ित उम्मीदवार को राहत दी, TANGEDCO को असिस्टेंट इंजीनियर के रूप में नियुक्त करने को कहा

Update: 2023-10-16 07:45 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 'कलर ब्लाइंडनेस' से पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (TANGEDCO) को उसे उचित वेतन ग्रेड पर असिस्टेंट इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया।

कलर-ब्लाइंडनेस के आधार पर TANGDECO द्वारा असिस्टेंट इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के पद पर नियुक्ति से इनकार करने के बाद उस व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता को निगम द्वारा प्रस्तावित जूनियर असिस्टेंट का वैकल्पिक पद अपर्याप्त है, क्योंकि यह अपीलकर्ता की योग्यता के साथ असंगत है।

कोर्ट ने TANGDECO द्वारा दिए गए वैकल्पिक प्रस्ताव के बारे में कहा,

"प्रस्ताव महज राहत देने वाला संकेत हैस जिसे उन्होंने उचित रूप से खारिज कर दिया।"

मद्रास हाईकोर्ट ने इससे पहले अपने आदेश में अपीलकर्ता की नियुक्ति को समाप्त करने के TANGEDCO के फैसले की पुष्टि की थी।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के उक्त आदेश को रद्द करते हुए कहा:

"TANGEDCO प्रतिवादी को निर्देश दिया जाता है कि वह अपीलकर्ता को एई इलेक्ट्रिकल के रूप में अपनी सेवा में उस दिन से वेतन ग्रेड के उचित स्तर पर नियुक्त और जारी रखे जिस दिन उसे उसकी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, या उसकी नियुक्ति रद्द कर दिया था, उसे उपयुक्त विभाग में समायोजित किया जाए, जहां उसे उचित जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं। अपीलकर्ता वेतन और भत्तों के पूर्ण बकाया का 50% पाने का भी हकदार होगा और उसकी सेवा पूर्ण निरंतरता के साथ नियुक्ति की मूल तिथि से मानी जाएगी।

वर्तमान मामला अपीलकर्ता द्वारा असिस्टेंट इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) के पद के लिए नौकरी के आवेदन से संबंधित है। अपीलकर्ता को शुरू में इस भूमिका के लिए योग्य माना गया था, लेकिन बाद में मेडिकल जांच के दौरान कलर ब्लाइंड पाया गया। इससे एक इंजीनियर की जिम्मेदारियों को पूरा करने की उनकी क्षमता के बारे में चिंताएं बढ़ गईं, जिसमें अक्सर कलर-कोडित बिजली केबलों और तारों के साथ काम करना शामिल होता है।

इन चिंताओं के परिणामस्वरूप, TANGEDCO ने अपीलकर्ता की उम्मीदवारी अस्वीकार कर दी। अपीलकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस फैसले को चुनौती दी और मद्रास हाईकोर्ट ने शुरू में उसके पक्ष में फैसला सुनाया और TANGEDCO को उसे पद देने का निर्देश दिया।

हालांकि, TANGEDCO ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, जिसके कारण मद्रास हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पुनर्विचार किया। डिवीजन बेंच के फैसले ने आनुपातिकता के विकसित हो रहे सिद्धांत पर प्रकाश डाला। उक्त सिद्धांत यह दर्शाता है कि TANGEDCO के निर्णय का इस आधुनिक मानक के अनुसार भी उचित आधार है।

खंडपीठ ने इंजीनियरों के लिए त्वरित और सटीक निर्णय लेने की महत्वपूर्ण प्रकृति पर जोर दिया, खासकर आपात स्थिति में, जब उन्हें कलर-कोडित तारों और केबलों को संभालना होता है। उन्होंने तर्क दिया कि रंग अंधापन के कारण इस तरह के निर्णय लेने में कोई भी हानि किसी व्यक्ति को पद के लिए अयोग्य बना सकती है।

खंडपीठ ने इस बात पर भी जोर दिया कि रिट याचिकाकर्ता के मामले में TANGEDCO के फैसले में कोई स्पष्ट मनमानी प्रदर्शित नहीं हुई है। इसने उन मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप के प्रति आगाह किया जहां न्यायाधीशों के पास अपेक्षित विशेषज्ञता की कमी हो सकती है। इसके साथ ही यह स्वीकार किया गया कि TANGEDCO ने एक्सपर्ट मेंबर के साथ स्पेशल कमेटी को इकट्ठा किया था, जिसका सर्वसम्मत निर्णय यह था कि याचिकाकर्ता भूमिका के लिए अनुपयुक्त है।

डिवीजन बेंच के फैसले ने पिछला आदेश रद्द कर दिया, जिससे अपीलकर्ता को सुप्रीम कोर्ट से निवारण की मांग करनी पड़ी।

केस टाइटल: मोहम्मद इब्राहिम बनाम प्रबंध निदेशक

अपीलकर्ता के लिए: एओआर ए. वेलन

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