सुप्रीम कोर्ट ने नगर पालिका भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल की सीबीआई जांच की चुनौती खारिज की; कहा- यह शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा

Update: 2023-08-21 10:35 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल नगर पालिका भर्ती घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को ट्रांसफर करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रथम दृष्टया टिप्पणी की कि नगर पालिका भर्ती घोटाला शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। उल्लेखनीय है कि शिक्षक घोटाला की जांस सीबीआई और ईडी के पास है।

पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने के अपने फैसले में गलती की है, क्योंकि यह साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं थी कि राज्य घोटाले की जांच नहीं कर सकता।

उन्होंने आगे तर्क दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था और निकाय इस बिंदु पर केवल अधिकारियों को "निशाना" बना रहा था।

उन्होंने कहा-

"यह किन अन्य राज्यों में हो रहा है? यहां ईडी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। वे मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हैं, वे अधिकारियों को बुला रहे हैं और कह रहे हैं कि धारा 50 पीएमएलए के तहत बयान दर्ज किए जाएंगे। यह अब एक घूमती हुई पूछताछ बन रही है... ईडी इस सब में कैसे आती है?"

ईडी की ओर से पेश हुए भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि इस मामले में एक "बड़ी साजिश" चल रही है और ऐसा लगता है कि दो घोटाले- 'नगर पालिका भर्ती घोटाला' और 'शिक्षक नियुक्ति घोटाला' आपस में जुड़े हुए थे।

उन्होंने कहा-

"यह एक अलग अपराध नहीं है जैसा कि इसे चित्रित करने की कोशिश की गई है। दो परीक्षाओं के लिए ओएमआर शीट मुद्रित करने के लिए एक कंपनी को नियुक्त किया गया था। यह सब एक दूसरे से जुड़ा हुआ है।"

एएसजी ने आगे कहा कि शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के दौरान ईडी को नगर पालिका भर्ती घोटाले के संबंध में जानकारी मिली। पीएमएलए की धारा 66(2) के अनुसार, ईडी अन्य अपराधों के संबंध में जानकारी का खुलासा करने के लिए बाध्य है। इसलिए, कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था।

एएसजी ने आगे बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद, सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है और जांच शुरू कर दी है। संदर्भ के लिए, धारा 66(2) के अनुसार ईडी केंद्र सरकार के अधिकारियों को जानकारी दे सकती है, यदि उसकी राय में सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक है। एएसजी ने कहा कि दोनों घोटालों के गवाहों ने मामलों के बीच "सामान्य संबंध" का खुलासा किया है।

इस मौके पर सीजेआई ने टिप्पणी की कि शिक्षक भर्ती घोटाले में सीबीआई जांच अंतिम रूप ले चुकी है और यहां तक कि गवाहों के बयानों की भी जांच की जा चुकी है।

सिब्बल ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया कि हाईकोर्ट ने प्रासंगिक सामग्री के अभाव में आदेश पारित किया था और आदेश के उद्देश्य के लिए पूरी तरह से स्थिति रिपोर्ट पर भरोसा किया था।

उन्होंने कहा कि राज्य मशीनरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस पर सीजेआई ने टिप्पणी की-

"एकल न्यायाधीश का फैसला जिसमें स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी - वह उस पर निर्भर करता है। तो हम कैसे कह सकते हैं कि हाईकोर्ट के समक्ष सामग्री का अभाव था... यह स्पष्ट है कि नगर निगम भर्ती और शिक्षक भर्ती घोटाला एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

उसी व्यक्ति ने ओएमआर शीट तैयार की थी...यह स्थिति रिपोर्ट है, जिस पर एकल न्यायाधीश ने भरोसा किया है।''

सिब्बल ने इस बात को दोहराया और कहा कि अगर राज्य मशीनरी को दरकिनार करने की अनुमति दी गई, तो यह अन्य राज्यों के लिए भी एक गलत मिसाल कायम करेगा।

उन्होंने कहा-

"राज्य की शक्ति के बारे में क्या? कृपया संपत लाल फैसले को देखें...यह राज्य मशीनरी को दरकिनार करना है। अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो यह हर राज्य में हो सकता है।"

सीजेआई ने टिप्पणी की कि यदि नगर पालिका घोटाला शिक्षक भर्ती घोटाले से असंबंधित होता तो स्थिति अलग होती। हालांकि, चूंकि अदालत इस बात से संतुष्ट थी कि शिक्षक भर्ती घोटाला और नगर निगम भर्ती घोटाला दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, इसलिए मामले को खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल: पश्चिम बंगाल राज्य बनाम सौमेन नंदी | एसएलपी (सी) संख्या 15534/2023

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