सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक जुलूसों के दौरान हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए दिशा-निर्देश मांगने वाली याचिका खारिज की

Update: 2023-04-29 05:13 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को धार्मिक जुलूसों के दौरान झड़पों/हिंसा को रोकने के लिए अखिल भारतीय दिशा-निर्देशों की मांग करने वाली याचिका वापस लेने की इजाजत दी।

याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का फैसला तब किया जब जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस अरविंद कुमार की खंडपीठ ने इस मामले पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की।

पीठ ने याचिकाकर्ता से मौखिक रूप से कहा,

'हम इसे इतना बड़ा मुद्दा न बनाएं। हम कानून के दायरे में नहीं आ सकते। आप वापस ले सकते हैं।"

याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी ने पार्टी-इन-पर्सन के रूप में साल दर साल हो रहे धार्मिक जुलूसों के दौरान हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति पर ध्यान दिलाया।

जनहित याचिका हाल ही में रामनवमी समारोह के दौरान आयोजित धार्मिक जुलूसों के दौरान भड़की हिंसा का जिक्र करते हुए दायर की गई।

याचिका में दावा किया गया कि हर साल इसी तरह की घटनाएं होने के बावजूद, प्रतिवादी अधिकारियों ने कभी कोई कार्रवाई नहीं की है और कानून प्रवर्तन पर्याप्त "सख्त" नहीं है।

याचिका में कहा गया,

“समाज की अनियमित शक्तियों द्वारा राजनीतिक और सांप्रदायिक तनाव के कारण देश के विभिन्न स्थानों पर व्याप्त वर्तमान स्थिति ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं है। पिछले साल की तरह भारत में रामनवमी समारोह में भी इसी तरह के नतीजे देखे गए और इस साल पूरे देश में हिंसा देखी गई, इस त्योहार को कई राज्यों में हिंसा से चिह्नित किया गया।”

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने दिसंबर 2022 में धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देशों की मांग करने वाले एनजीओ 'सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस' द्वारा दायर इसी तरह की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था।

सीजेपी ने अप्रैल 2022 के दौरान आयोजित रामनवमी और हनुमान जयंती के जुलूसों के दौरान हिंसा की घटनाओं का हवाला देते हुए याचिका दायर की थी।

केस टाइटल: विशाल तिवारी बनाम भारत संघ और अन्य। WP(C) नंबर 492/2023 जनहित याचिका

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