सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (CBI) द्वारा लगाए गए ₹3,500 शुल्क और अन्य आकस्मिक शुल्कों को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज की।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने CBI के इस तर्क से सहमति जताई कि गौरव कुमार बनाम भारत संघ मामले में दिया गया निर्णय, जिसमें कहा गया था कि बार काउंसिल एनरोलमेंट के लिए वैधानिक रूप से निर्धारित ₹750 से अधिक शुल्क नहीं ले सकती, AIBE शुल्क पर लागू नहीं होता।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस पारदीवाला ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वह गौरव कुमार मामले में दिए गए निर्णय का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं।
BCI की ओर से सीनियर एडवोकेट एस. गुरुकृष्ण कुमार ने दलील दी कि यह निर्णय एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 24 के तहत एनरोलमेंट फीस से संबंधित है, न कि AIBE से। उन्होंने आगे कहा कि परीक्षा आयोजित करने में काउंसिल को कई तरह के खर्च उठाने पड़े।
न्यायालय इस तर्क से सहमत हुआ और याचिका खारिज कर दी।
खंडपीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में याचिकाकर्ता से कहा,
"मिस्टर गांधी, आप अभी 3500 रुपये का भुगतान करें। एक वकील के रूप में आप 3500000...000 रुपये कमाएंगे..."
यह याचिका एडवोकेट संयम गांधी द्वारा दायर की गई थी, जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने तर्क दिया कि 3,500 रुपये और एक्स्ट्रा फीस लगाना गौरव कुमार मामले के फैसले के विपरीत है।
उन्होंने दलील दी कि फैसले में सामान्य श्रेणी के वकीलों के लिए एनरोलमेंट फीस 750 रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के वकीलों के लिए 125 रुपये निर्धारित किया गया। उन्होंने तर्क दिया कि AIBE फीस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) और एडवोकेट एक्ट की धारा 24(1)(एफ) का उल्लंघन करता है।
इससे पहले, 24 फरवरी को न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वह पहले BCI के पास अभ्यावेदन लेकर जाए तथा यदि उचित समय के भीतर कोई जवाब नहीं मिलता है या जवाब नकारात्मक होता है तो उसे पुनः न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता दी गई।
Case Title – Sanyam Gandhi v. Union of India and Anr.