सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए राज्यों की समितियां बनाने को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज की

Update: 2023-01-09 10:18 GMT

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को पेश करने और लागू करने के लिए समितियों का गठन करने के उत्तराखंड और गुजरात राज्यों के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया।

विचाराधीन जनहित याचिका अनूप बरनवाल द्वारा दायर की गई। पीठ ने यह देखते हुए कि विचाराधीन राज्यों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत समितियों के गठन करने का अधिकार है, कहा कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है।

सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"इसमें गलत क्या है? ऐसी समितियों के गठन को अदालतों के समक्ष अधिकारातीत के रूप में चुनौती नहीं दी जा सकती है। समवर्ती सूची की प्रविष्टि 5 को देखें।"

अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 162 प्रदान करता है कि राज्यों की कार्यकारी शक्ति का विस्तार विधायिका को करने की अनुमति देता है।

तदनुसार, याचिका को किसी भी गुण से रहित होने के कारण खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल- अनूप बरनवाल व अन्य बनाम यूओआई और अन्य डब्ल्यूपी (सी) नंबर 1086/2022

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