सुप्रीम कोर्ट ने IPS अफसरों के ट्रांसफर/ प्रतिनियुक्ति पर केंद्र सरकार के राज्यों पर अधिकार के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज की
Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय पुलिस सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6 (1) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आईपीएस कैडर के अधिकारियों के स्थानांतरण और प्रतिनियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार को राज्यों के ऊपर शक्तियां प्रदान की गई हैं।
न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,
"खारिज।"
नियम 6 (1) को मुख्य अधिनियम में पेश किया गया था -
6. "कैडर अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति: 6 (1) एक कैडर अधिकारी, राज्य सरकार या संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार की सहमति से केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार या किसी कंपनी, संघ या व्यक्तियों के निकाय के तहत सेवा के लिए प्रतिनियुक्त हो सकता है, निगमित या पूर्ण रूप से, जो आंशिक या पूरे तरीके से केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित है। बशर्ते कि किसी भी असहमति के मामले में, केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा और संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकारें केंद्र सरकार के निर्णय को प्रभावी करेंगी ……………। "
पश्चिम बंगाल के रहने वाले याचिकाकर्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अबू सोहेल द्वारा ये कहा गया,
"देश में इस तरह की प्रचलित स्थिति होने के कारण, केंद्र और राज्य के बीच कई बार टकराव हुए हैं, जो अंततः हमारे संविधान के संघीय ढांचे को खतरा पैदा करता है।"
यह दलील दी गई है लागू नियम केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्य बनाने और केंद्र-राज्य संबंधों के सार को बढ़ावा देने के लिए संविधान निर्माताओं के इरादे में अनुचित और अवैध विचलन पैदा करता है, जो कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए एक सर्वोपरि आवश्यकता है।
यह बताया गया है,
"2001 में, केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच बड़ा टकराव हुआ था जब केंद्र ने तमिलनाडु राज्य से तीन आईपीएस अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया था।"
इसमें जोर दिया गया है कि ऐसे कई और टकराव के उदाहरण हैं, जिनमें हाल ही में पश्चिम बंगाल राज्य के तीन आईपीएस अधिकारियों को "राज्य और राज्य मशीनरी के हित के खिलाफ अत्यंत राजनीतिक प्रतिशोध के साथ" वापस बुलाया गया है।
इसके अलावा, जोर दिया गया है कि नियम 5 (1) और नियम 6 (1) के बीच एक द्वंद्व है। नियम 5 (1) में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के परामर्श से या संबंधित संवर्गों की सहमति से अधिकारियों के आवंटन की आवश्यकता होती है।