सुप्रीम कोर्ट ने हज-उमराह सेवाओं के लिए जीएसटी छूट की मांग करने वाले निजी टूर ऑपरेटरों की याचिकाएं खारिज कीं

Update: 2022-07-26 05:49 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को विभिन्न निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच को खारिज कर दिया, जिसमें सऊदी अरब की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों को उनके द्वारा दी जाने वाली हज (Haj) और उमराह सेवाओं (Umrah Service) के लिए माल और सेवा कर (GST) से छूट की मांग की गई थी।

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने फैसला सुनाया।

जस्टिस ओका ने कहा,

"हमने छूट और भेदभाव दोनों के आधार पर याचिकाओं को खारिज कर दिया है।"

जस्टिस ओका ने कहा कि भारत के बाहर दी जाने वाली सेवाओं के लिए जीएसटी के अतिरिक्त क्षेत्रीय आवेदन के संबंध में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए तर्क को खुला रखा गया है, क्योंकि यह एक अन्य पीठ के समक्ष विचाराधीन है।

टूर ऑपरेटर हज पर जीएसटी लगाने को चुनौती दे रहे हैं, जो पंजीकृत निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का इस आधार पर लाभ उठाते हैं कि संविधान के अनुच्छेद 245 के अनुसार अतिरिक्त क्षेत्रीय गतिविधियों पर कोई टैक्स कानून लागू नहीं हो सकता है। उनका तर्क है कि भारत के बाहर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं पर जीएसटी नहीं लगाया जा सकता है।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ये देनदारी भेदभावपूर्ण है क्योंकि यह कुछ हाजियों को छूट देती है जो भारत की हज समिति के माध्यम से तीर्थ यात्रा करते हैं। तीर्थयात्रियों द्वारा हवाई यात्रा पर 5% की जीएसटी लेवी (इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) लागू होती है, जो द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत केंद्र द्वारा दी गई धार्मिक तीर्थयात्रा के लिए गैर-अनुसूचित / चार्टर संचालन की सेवाओं का उपयोग करते हैं। हालांकि, यदि किसी धार्मिक तीर्थयात्रा के संबंध में किसी निर्दिष्ट संगठन की सेवाओं को विदेश मंत्रालय द्वारा द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत सुविधा प्रदान की जाती है, तो दर शून्य होगी।

तर्क का दूसरा हिस्सा यह है कि हाजियों को दी जाने वाली सेवाएं जैसे उड़ान यात्रा, आवास आदि धार्मिक गतिविधियों के लिए वो दी गई छूट के लिए पात्र हैं।


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