सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग सुरक्षित रखने की वकील की याचिका खारिज की

Update: 2025-10-06 15:29 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 अक्टूबर) को एडवोकेट मैथ्यूज जे. नेदुम्परा द्वारा दायर रिट याचिका खारिज की, जिसमें अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग के संरक्षण को सुनिश्चित करने और वकीलों व वादियों को अधिकार के रूप में उन्हें सुलभ बनाने के निर्देश देने की मांग की गई। याचिका इस तर्क पर आधारित थी कि इस तरह के उपाय से "वकीलों और वादियों के साथ दुर्व्यवहार" को रोकने में मदद मिलेगी और वकील की स्थिति की परवाह किए बिना सुनवाई के समान अवसर की गारंटी मिलेगी।

जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने याचिका खारिज करने से पहले एडवोकेट नेदुम्परा की संक्षिप्त सुनवाई की। व्यक्तिगत रूप से बहस करते हुए नेदुम्परा ने प्रस्तुत किया कि देश भर की अधिकांश कोर्ट और ट्रिब्यूनल्स में वर्चुअल सुनवाई होने के बावजूद, अभी भी ऐसे रिकॉर्ड को उचित अवधि के लिए संरक्षित करने या वादियों व वकीलों को अधिकार के रूप में उन तक पहुंच प्रदान करने की कोई व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने आगे तर्क दिया कि अदालतों में वकीलों और वादियों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं लगातार जारी हैं। अदालती कार्यवाही में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग का संरक्षण और सुलभता ही एकमात्र प्रभावी उपाय है।

याचिका में इस मुद्दे पर नेदुम्परा के दीर्घकालिक प्रयासों का उल्लेख किया गया। इसमें कहा गया कि उन्होंने पहले बॉम्बे हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कोर्ट कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग का आग्रह किया और 2014 में तत्कालीन चीफ जस्टिस आर.एम. लोढ़ा से भी मुलाकात की, जिन्होंने ऑडियो रिकॉर्डिंग की व्यवहार्यता पर विचार किया। इसके बाद 2016 में नेदुम्परा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग करते हुए याचिका दायर की, जिसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि ऐसा कदम "अदालत को तमाशे में बदल देगा"।

उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने 2018 में अपील खारिज की।

इसके बाद स्वप्निल त्रिपाठी मामले में अदालत ने व्यापक जनहित में कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग की अनुमति दी। अदालत ने कहा कि चूंकि लाइव स्ट्रीमिंग के संबंध में मामला पहले ही तीन जजों की पीठ द्वारा तय किया जा चुका है और उनके द्वारा दायर याचिका का निपटारा हो चुका है, इसलिए वर्तमान रिट याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।

Case Details: MATHEWS J NEDUMPARA Vs SUPREME COURT OF INDIA|W.P.(C) No. 828/2025

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